अभिषेक पाण्डेय   (Aभि✍📚)
1.6k Followers · 35 Following

read more
Joined 29 July 2018


read more
Joined 29 July 2018

मतलब मुआ'मलात का कुछ पा गया हूँ मैं
हँस कर फ़रेब-ए-चश्म-ए-करम खा गया हूँ मैं

बस इंतिहा है छोड़िए बस रहने दीजिए
ख़ुद अपने ए'तिमाद से शर्मा गया हूँ मैं

साक़ी ज़रा निगाह मिला कर तो देखना
कम्बख़्त होश में तो नहीं आ गया हूँ मैं

क्या अब हिसाब भी तू मेरा लेगा हश्र में
क्या ये इ'ताब कम है कि यहाँ आ गया हूँ मैं

निकला था मय-कदे से कि अब घर चलूँ 'अदम'
घबरा के सू-ए-मय-कदा फिर आ गया हूँ मैं।

-



पाकर तुम्हें थोड़े स्वार्थी हम हुए।
मानो तेरी हर सांस ने मेरी रूह को छुए।

न जाने कितने जतन किए तुम्हें पाने में।
महिनों बीत गए तुम्हें रिझाने में।

तेरी हल्की सी मुस्कान तेरा दीदार-ए बखान।
कोई कह दे तो सुनाऊं मेरा इश्क-ए-दास्तान।

तेरा गले से लिपटना,
मुझे बेहद सुकून दे गया।
आहिस्ता ही सही,
तेरी यादों की माला मैं गिन-गिन पिरो गया।

सच कहूं तो,
तेरी मौजूदगी से रोशन है मेरा आशियाना।
लेकर तेरा नाम,
मुझे आशिक पुकारने लगा है ये जमाना।

-



ऐ! दर्द तेरा मुझसे इश्क़,मेरी खुशियों से बगावत।
खामोश भी हो जा,कहीं लग ना जाए तेरी आदत।

-



अपना कहूँ या पराया-

शामिल हो मेरी आदत में,
जो ठुकरा गये मुझे उसका क्या?

मिला ना आशियां मेरा,
बेवजह रिश्ते बनाता गया उसका क्या?

कहने को तो हजारों बात है,
मगर खुद ब खुद जो लब सिले हैं उसका क्या?

छोड़ गये यादों का इक धुआं इस दिल में,
अब तो बस धुंध ही धुंध है उसका क्या?

-



तेरी हर बात पर,
मेरा मुस्कुराना इश्क ही तो था।
तेरा झुल्लाना,
वो रूठना मनाना इश्क ही तो था।

तेरा हक जताना,
बातें बनाना इश्क ही तो था।
लाख थीं शिकायतें,
फिर भी,
तेरा मुझसे दिल लगाना इश्क ही तो था।

-



थोड़ी सी गुफ्तगू की मोहलत मांगा था।
यूं ही लगाव बस आपका वक्त मांगा था।

हमें क्या पता आप हमसे यूं मुकर जाएंगे।
जीतकर आपको हम फिर से हार जाएंगे।

-



शून्य की तरफ अग्रसर है,
इस जीवन का एहसास।

मन में कौतूहल हजारों सवालात,
बोझिल हो जाती हर इक रात,

किससे कहूँ इस दिल की बात?
पराई मुस्कान लिए फिरता हर इंसान।

ना तू मुझसे ना मैं तुझसे,
फिर क्यूँ खुद को ही टटोलता इंसान।

-



तंग गलियों से ना पूछो
यूँ हाल बनारस का।

यहाँ सुकून इश्क़ सा है,
आहिस्ता-आहिस्ता रूह में उतरता है।

-



नेस्तनाबूद कर लहू-लुहान किया।
दुश्मनों को रणभूमि से खदेड़ दिया।

-



वक़्त कहीं बहा ना दे,
मेरी खामोशी।
आ अब,
तुझसे मुख़ातिब हो ही जाता हूँ।
जो बन ना पाया हमदर्द तेरा।
मैं ये दर्द हर रोज सहता हूँ।

-


Fetching अभिषेक पाण्डेय Quotes