नफरत करने वालों से भी प्यार करो, तो कोई बात बनें।
अपनें जीवन का कुछ यूँ आधार करो, तो कोई बात बनें।
अमीरों की खातिर हर कोई, जान हथेली पे रखता हैं
गरीब के हक में जान निसार करो, तो कोई बात बनें।
बेटी है तो क्या हुआ, उसके भी कुछ अरमान हैं
उसे भी बेटे जैसा दुलार करो, तो कोई बात बनें।
वो दुल्हन बनकर आयी है, तुम्हारे घर आंगन में
उससे मायके वाला प्यार करो, तो कोई बात बनें।
यूँ तो सब सजते-संवरतें हैं, इस शरीर के लिये
तुम "आत्मा का श्रृंगार करो", तो कोई बात बनें।
चूमकर कदम माँ-बाप के, शुरुआत हो दिन की
अपने घर के ऐसे संस्कार करो, तो कोई बात बनें।
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