फागुन हो,
हो रंग कई...
और फिज़ा में महके इश्क़ तुम्हारा,
तुम पूछो मुझसे,
कौन-सा रंग..?
मैं कह दूं तुमसे "रंग तुम्हारा",
तुम मुझको बांहों में भर लो...
रंगों के आगे फिर जाना
तुमसे गाढ़ा रंग क्या होगा...?
(कृपया अनुशीर्षक में पढ़े)
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16 MAR 2024 AT 13:35