जाने क्यूँ तरबतर हैं आँखे उनकी,
अभीतक नज़रभर देखा भी नहीं!
वो ताकती रहती चाँद को रातभर,
आँखों मे अक्स दिखाती भी नहीं!
पलट के देखती है गुजरते पास से,
वक़्त-ए-रूबरु पहचानती भी नहीं!
अब भी मैं नजरअंदाज हूँ ज़ालिम,
उस के दर से अभी उठा भी नहीं!
मुझे खोने का डर है उसके दिल मे,
जाहिर तौर से मेरी परवाह भी नहीं!
मेरे जाने से वो ख़फ़ा तो होगी बेशक,
पर वो रास्ता मेरा रोकती भी नहीं!
इल्म है मुझको, बेसब्र है वो मेरे लिए
"राज" को उसके बिना जीना भी नहीं! _राज सोनी-
देश की सबसे बड़ी समस्या ये हैं की
यहां देश की समस्या को लोग
देश की समस्या समझते हैं, अपनी नहीं।-
हुस्न-ए-सीरत को नज़र-अंदाज़ करके, हुस्न-ए-सूरत से इश्क़ करते है
हटते है जब मुखोटे सूरतों से, टूटा दिल लिए फिर त्राहिमाम त्राहिमाम करते है-
कुछ करना है तो दिल पे दस्तक
दे जाए ऐसा कुछ करदो,
नज़रोंसे तो अच्छी चीजें हमेशासे
नजरअंदाज होती आयी है।-
अजीब खेल है इस मोहब्बत का
अजीब खेल है इस मोहब्बत का
किसी को हम ना मिले कोई हमें ना मिला ।।-
रिश्तो को नजरअंदाज करणे सें रिश्ते बनते नहीं बिगडते देखे हैं हमने.
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नज़रंदाज़ भी करता है , नज़र भी रखता है
वो इन दिनों मेरी , कुछ यूँ भी ख़बर रखता है
न जाने कैसी मुहब्बत है , उस सितमगर की,
जान ले लेता है , जिंदा भी मगर रखता है ;
रोज खाता है कसम , अब न इधर आऊँगा ,
मेरे ही कूचे में , लेकिन वो गुज़र रखता है ;
उसी के आने से बदलते हैं आजकल मौसम ,
वो अपनी नज़रों में इतना तो असर रखता है ...-
जब जब लोग जान बूझ कर ना समझ बनते हैं ना ,
तो मेरे पास सिर्फ एक ही विकल्प होता है नजरअंदाज !-
किसी को इतना नजर अंदाज न करना
की वो निराश हो जाये जिंदगी से अपनी
हो सकता है केवल आप ही सब
कुछ हो जिंदगी में उसकी-