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जब
जीवन में
इंसान अपना बहुत
कुछ खो देता है तब
उसके जीवन में
संतुष्टि और
धैर्य का आगमन
होता है।।
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धैर्य रख और आगे बढ़ता जा
अपनी हस्ती को तू गढ़ता जा
दुखों के पहाड़ भी मिलेंगे आगे
अपने हौसलों से तू चढ़ता जा
सब कुछ लिखा है इन चेहरों पर
सच और झूठ सब तू पढ़ता जा
ईश्वर तो तेरे अंदर ही है "आरिफ़"
उसका गुणगान भी तू करता जा
"कोरा काग़ज़" मिला है लिखने को
कलम से सच्चाई के लिए लड़ता जा-
"सुनहरा कल"
फिर उगेगा नवल सूरज
और खिल उठेगा आसमां।
कदम-कदम है नयी कहानी
कह रही है ये ज़मीं,
साहस हो दिल में पर्वतों सा
भर चले दामन में तू,
डटकर लड़ा जो बार-बार
जीतेगा फिर से हौसला,
और खिल उठेगा ये जहां,
धारा न टूटे धैर्य की
कह रही बहती नदी,
फिर खिलेंगी फूल - कलियां
गायेंगी नग्में तितलियां,
धरती लिखेगी नयी दास्तां
और खिल उठेगा ये समां।।
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धीरज रख हौंसला रख
खुदा पे भरोसा रख
मुश्किलों से लड़ कर
आगे बढ़ता चल
हर मुश्किल आसान
हो जाएगी ।।।
ज़िंदगी मे कोई समय
ज्यादा वक्त नही रहता
अच्छा हो या बुरा
आसान हो या मुश्किल
कट ही जाता है
वक़्त से बढ़कर कुछ
भी नही है ।।
बस धैर्य रख हर
मुश्किल हल हो जाती है
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आप जिस चीज को पाने के लिए
अत्यधिक उत्तेजना दिखाएंगे
आप अंततः उस चीज का अधिक
मूल्य चुकाएंगे।-
(साँस)
चलती हुई हर एक साँस
क्यूँ मुझसे तेज चलती हैं
दो कदम जो दौड़ा कभी
ये मुझसे तेज उछलती हैं
मैं जो हारूं तो बैठ जाऊं
ये है कि हरदम चलती हैं
ठहाकों की गूँजी हँसी में
आग की भांति जलती हैं
लेकिन कभी जब रोया मै
सिसकियों ले सिसकती हैं
चलती हुई हर एक साँस
क्यूँ मुझसे तेज चलती हैं-
कागज का टुकड़ा बहुत खास है
धैर्य से सुनता मानव की हर बात है!
लिख देते हैं सब अपने दर्द इसमें
बस कलम का सहारा इसके पास है!
सुनकर सबकी हर बात
मन का बोझ कम कर देता है!
जीवन में अकेले हैं जो
उनको सहारा यही देता है!
कागज का टुकड़ा बहुत खास है
धैर्य से सुनता मानव की हर बात है!!!
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एकान्त में बैठी
ठोढ़ी से हाथ लगाए
मेरी कल्पनाओं के
सागर में गोते लगाती मैं
चली गई अनायास ही अतीत में...!!
गाँठ खोलकर
यादों की पोटली की
देखने लगी एक-एक करके
सुख-दुःख, हँसी-मुस्कुराहट,
दर्द और क्रन्दन के क्षण....!!
हल्की हँसी होठों पर
और गीली आँखों के साथ
समझ आई एक बात मुझे....!!
किस तरह व्यक्ति
मात्र जीवित रहने हेतु
धारण कर लेता है अंतरिक्ष भर धैर्य..!!-