कौन है अपना, कौन है पराया
इस बात ने हमको है भरमाया
जिनको था दिल से अपनाया
पल भर में उन्होंने कर दिया पराया!-
कल्पनाशील😌 जिज्ञासु📚
चंचल 🙃
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मगर आज भी
हम जी रहे हैं!
बदले हुए हालातों से
आज भी लड़ रहे हैं!
पल भर का साथ जो निभाते हो
बस उन्हीं यादों से आगे बढ़ रहे हैं!
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मैं कोशिश करूँगी!
अपनी मंजिल को
छू के ही रहूँगी!
लाख परिस्थितियाँ आये
मैं सब सह लूँगी!
मगर अपने मार्ग में
मैं सदा बनी रहूँगी !
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कागज का टुकड़ा बहुत खास है
धैर्य से सुनता मानव की हर बात है!
लिख देते हैं सब अपने दर्द इसमें
बस कलम का सहारा इसके पास है!
सुनकर सबकी हर बात
मन का बोझ कम कर देता है!
जीवन में अकेले हैं जो
उनको सहारा यही देता है!
कागज का टुकड़ा बहुत खास है
धैर्य से सुनता मानव की हर बात है!!!
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भले ही अंजान हों
अपनों की नज़रों में
कुछ तो पहचान हो!
जमाने की नज़र में
हम से ना कोई आस हो
मगर अपनों की नज़रों में
तो कम से कम हम खास हों!-
खेतिहर-मजदूरों पर ,अब और ना जुल्म कर !
कष्टों से उनका जीवन ,अब और ना भर!
अत्यधिक संघर्षों से ,रोटी मिलती है
रहम करके उनकी पीड़ा , अब कम कर!
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जिंदगी में ऐसा भी मोड आता है
जब इंसान खामोशी से जीना सीख जाता है!!-
मेरा हर सपना साकार किया,
पापा ने मेरे जीवन को आकार दिया
बेटी होने पर गर्व किया ,
जरूरत से ज्यादा सब कुछ दिया!
ईमानदारी के पथ पर चलना सिखाया ,
हार जाने पर मेरा हौंसला बढ़ाया
मेरी हर बात को स्वीकारा ,
हर जिद्द को पूरा कर डाला!
पढ़ाई में हमेशा सयोग किया ,
"उन्नति करो" ये कह कर सदा प्रेरित किया
मेरा हर सपना साकार किया ,
पापा ने मेरे जीवन को आकार दिया!
-deeksha(मिश्रा)
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जिंदगी से अनजान थी
लक्ष्य की नहीं पहचान थी
क्या सही है क्या गलत
यही सोच-सोच कर मैं परेशान थी!
जिंदगी में नई राह दिखी
हर कार्य से प्रेरणा मिली
भले ही जीत हासिल ना की हो
ज्ञान से नहीं वंचित रही!-
अब सहा नहीं जाता
अपनों से दूर होकर
अब रहा नहीं जाता
यादों का समंदर होनें पर भी
यूँ अकेले जिया नहीं जाता!
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