भले तुम पर कोई उंगली उठाये, चाहे फैलाये अफवाह सी,
मुझे किसी की परवाह नहीं, तुम हो ही पवित्र पंचकन्या सी!
भले छली हो तुम इंद्र से, चाहे रही प्रेम अभिशप्त शिला सी,
होगा मिलन जब सदियों बाद, हो लोगी पवित्र अहिल्या सी!
होंगे कितने तेरे शरीर के मालिक, चाहे तेरा अपमान हुआ,
पर तू ही होगी मेरी अर्द्धांगिनी, ह्रदय स्वामिनी द्रौपदी सी!
भले ही भूल से संसर्ग हुआ, चाहे मजबूरी से नियोग किया,
पर तुम हो आदर्श जीवनसंगिनी, तुम शीलवती कुंती सी!
भले चाहते तुमको बहुतेरे हो, चाहे कोई ना तेरी बात मानी,
अंतर्मन से तुमने मुझे स्वीकारा, दिल दूरदर्शिता तारा सी!
भले सर्वश्रेष्ठ से प्रणय किया, चाहे सलाह तेरी अनदेखी हुई,
उपरांत सब के मुझे वरण किया, तुम साथ मेरे मंदोदरी सी!
तन का नही है अस्तित्व प्रेम में, ना दिमाग से कुछ होता है,
अहसास की है प्रेमकहानी, मन से, मन सी और मन की सी! _राज सोनी-
23 NOV 2020 AT 9:06
11 APR 2019 AT 14:08
है कौन यहां पर वीर जिसे
मैं दिल की बात बता पाऊं
है किस प्राणी में धीर जिसे
मैं मन की पीड़ा गा पाऊं
कविता अनुशीर्षक में पढ़ें
- सुप्रिया मिश्रा
-
20 APR 2020 AT 20:27
कर रहे थे वस्त्रहीन भरे समाज में
उतार रहे थे इज़्ज़त भरे दरबार में
द्रौपदी घर में लुटी थी ना कि बाजार में
-
30 JUL 2019 AT 20:42
कौन द्रोपदी कौन
कौरव चीर हरने वाले
या
पांडव तुझे जुए में खेलने वाले
बता इसमें ज्यादा दोषी कौन?-
9 JAN 2018 AT 22:06
पांच हिस्सों मे बंट गया जिस्म बुत-सा,ऐतराज न कोई हुआ
दिल एक के साथ बांटना चाहा तो 'कर्ण' बंद कर लिए सभी ने!-
25 NOV 2022 AT 22:54
" द्रौपदी चीर-हरण "
--------------------
( कृप्या रचना अनुशीर्षक में पढ़ें ! )-