"द्रौपदी"
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Varsha Yadav
(writer.varsha)
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Writer
Poet
Shayar
Foodie
Believe in karma
Krishn bakt
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Joined 30 July 2018
18 OCT 2021 AT 2:14
चैन नहीं, आराम नहीं
अब पूर्ण विराम का कोई स्थान नहीं,
सुख नहीं, दुःख नहीं,
अब भावनाओं का भी कोई स्थान नहीं,
मोह नहीं, प्रेम नहीं,
अब किसी से लगाव का भी कोई स्थान नहीं,
कुछ भी नहीं,
अब इस जीवन में शेष कुछ भी नहीं-
3 SEP 2021 AT 11:40
मुश्किल समय से गुजरना,
मगर कमजोर नहीं पड़ना।
हालत चाहें जैसे भी हो,
मगर ग़म नहीं करना।।-
29 AUG 2021 AT 16:24
व्यवसाय हो या जीवनसाथी
तलाश जारी है
जीवन में और भी बहुत कुछ है ऐसा
जिसे खोजना अभी बाकी है-
23 MAY 2021 AT 21:47
आत्मसम्मान की बात थी,
एक स्त्री ने भी ठानी थी।
एक दुष्ट के रक्त की
मांग थी उसकी,
आखिर! बात उसकी
आबरू पे आई थी।
अबला नहीं,
वीरांगना थी वो,
ये बात उसने सिद्ध
करके दिखलाई थी।-