प्योली, बुरांश, हजारी के फूलों सी
पहाड़ों पर से झांकती सूर्य किरणों सी
बर्फ के फाहों सी स्नेही
सबके चेहरे पर मुस्कान लाती रचनाएं
अपनी बोली अपनी संस्कृति को दर्शाती
सामाजिक मुद्दों, देश के प्रति प्रेम को लिए रचनाएं
सौंधी सौंधी लाल गेरुए से लीपी
द्वार दीवार ऐपण से सजी
ऊँची हिमालय की चोटी पर बनी चाय की टपरी पर
हिम सी उज्ज्वल आकर्षित करती
चाय की घुटुक के साथ
आंनदित करती पहाड़ों की याद दिलाती
"पहाड़ी दीप" की रचनाएं।
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