दीपिका कार्की   (मसानी❤️......✍️)
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Joined 11 July 2018


Joined 11 July 2018

ऐपण




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पहाड़
पहाड़ पर कविता लिखती हूं,
बस एक शब्द स्त्री लिखती हूं....

पूर्ण रचना अनुशीर्षक में

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जिंदगी कुछ बेहतर भी होगी
या यूं ही निकल जायेगी?

और फिर जिंदगी का एक लंबा लेक्चर🤦
....
देखो निराश नहीं होते
देखो तुमसे भी दुखी
जिनके पास घर नही खाने का पता नही
बदलने को कपड़े नही .....
🤦☺️ हाए रे जिंदगी🤦☺️



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फिर मिलेंगे
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वो बूट
वो चित कबरी सूट
पीठ में पिट्ठू हाथों में बंदूक

नतमस्तक होकर
धरा को छूकर
वो वीर आंखों में ज्वाला भर

है सुसज्जित
गर्वित परिधान में
लक्ष्य पर दृष्टि तिलक भाल में

कहता है
सिंह सी गर्जना से
मिटाने या मिट जाने के दम्भ से

लौट आऊंगा शीघ्र ही
तिरंगा लहराते हुए
या तन पर ओढ़े हुए।।

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राह निहारे आहट तेरी
रिमझिम सावन मन बसंती मेला
मन उदास करे शृंगार
हाथ कंगन
मधुर है गुंजन
मां मेरा जहाँ
हाथों में हाथ बादलों पर
एक स्वप्न से जागी अपना आशियाना
खाली हैं हाथ कितना प्यारा

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बुराँश के फूल
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Full Piece In The Caption
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माँ तेरी पुकार ना सुन पाया,
जब धरती माँ ने पुकारा था।
राखी भी याद ना आई,
जब धरती मेरी लहू लुहान हुई।
प्रिये तेरा स्नेह भी भूला,
जब शंखनाद युद्ध का गूँज उठा।
श्रृंगार वीर का धर लिया अब,
सम्मुख केवल विजयपथ दिखा।
लहू से धरती सींचने को उतावले,
युद्ध की रणभेरी बजाने चले।
तेरी रक्षा करते हुये चाहे,
प्राण भी मेरे निकल जाये।
पर अंतिम शब्द मुख से यही रहेंगे,
देश मेरा विजय अमर रहे।🇮🇳

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मेरे मनोभावों विचारों को कोई भाषा मिली
तो वो है मेरी प्रिय हिंदी
माना कि 14 सितंबर 1949 को
राज भाषा का दर्ज़ा मिला
पर मेरे तो तुम पहले बोल
पहली मेरे भावों को
व्यक्त करने का एक मार्ग हो
मेरा स्वस्प्न तुझे राष्ट्रभाषा रूप में देखना है
जब सबका एक कानून एक देश
और एक भाषा हो
शायद इसी में देश का उत्थान भी हो
बहरहाल जो भी हो
मेरी प्यारी हिंदी तुम
मुझे सभी भाषाओं में सबसे प्रिय हो

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**हार नहीं मानूँगा**
चींटी सदृश गिर के चढूँ
या चढ़ कर गिरूँ
ये हौंसला बना रहेगा
ये सिलसिला चलता रहेगा
पर हार नहीं मानूँगा....
धूप मिले या छांव
चाहे करना पड़े जप या कोई तप
मिले उल्लास या मिले परिहास
खुशी हो या गम
मुस्कान या हो आँखे नम
पर हार नहीं मानूँगा....
कोई हाथ थामे या ना थामे
कोई कदम से ताल मिलाये या ना मिलाये
कछुए की चाल चलूँगा
चींटी स्वरूप हौंसला रखूंगा
अपना लक्ष्य पा के रहूंगा
पर कभी भी
**हार नही मानूँगा **
Durga Dasauni Karki

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