तुम्हारी बातों को समझना आदत थी मेरी,
तुम्हारे सुख दुःख की साथी होना इबादत थी मेरी।।
तुम्हे हर वक्त मेरे करीब पाना ही दौलत है मेरी,
जहा बेझिजक कुछ बाते बोल दू ऐसी अदालत हो मेरी।।
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न जाने यह कलम क्यो उदास है
न जाने इसको किसकी आस है
या तो थक गई यह भी लिखते-लिखते
या इसे भी अब दौलत की प्यास है.....-
एक ही तो हुनर बख़्सा है ख़ुदा ने बेनाम
ये दौलत-ए-शायरी यूँ लुटाने का सौदा नहीं-
इतनी दौलत मत दे, जिससे गैर जल जाए,
मुझको बस उतना दे कि मेरा काम चल जाए,
गर मिल गई बुलंदी तो तुम ग़ुरूर मत करना,
वक़्त का क्या भरोसा, जाने कब बदल जाए।-
आते समय अकेला आया, जाते समय चदरिया ओढी।
जाते समय साथ ना जाती, छूटती है ये सारी निगोड़ी।
छल कपट करके उम्र भर जो ये दौलत है तूने जोड़ी।
पूरी भले न ले जा पाता, ले जाता ना बंधु थोड़ी-थोड़ी।
(जानते हैं धन यहीं छूटने वाला है तो फिर क्यों ना यथासंभव दूसरों की मदद करके इस धन का सदुपयोग किया जाए)-
कहते हैं सब कि मुझमें है मेरी माँ की परछाई,
बस उनके संस्कारों से है मैंने यह दौलत कमाई ॥-
वो लोग मुझसे मेरी दौलत, मेरी कमाई, मेरी ताक़त का ब्यौरा माँग रहे थे।
मैंने मेरे "YQ परिवार" की फ़ेहरिस्त दिखा दी, जब वो मुझे पैसों में आँक रहे थे।।-
कीमती इतनी की दुनियां की दौलत भी हक़ीर लगे
वो मेरी मां हैं जिसकी मुहब्बत के आगे सब फ़कीर लगे-