बरसात की बूंदों ने कैसी अगन लगाई, दिल की हसरतों ने भी ली है अंगड़ाई।
दूर से देखे है पर क्यूं थामे ना कलाई, समझे नहीं इशारे, मेरा बलम हरजाई।-
लेखनी में बहुत कुछ ,औरों की अपेक्षा भी छिप... read more
किसने कहा कि मेरे पास दिल नहीं,
हां मेरे पास भी दिल है,
और उस दिल में तुम हो।
दिल नहीं तो प्रेम नहीं,
दिल नहीं तो कविता नहीं,
दिल नहीं तो कुछ भी नहीं।
मैं शायरी करती हूं तो तुझे लिखती हूं,
कविता करती हूं तो तुझे सोचती हूं,
मैं अपनी हर धड़कन में तुझे ही पाती हूँ।
तुम्हीं से मेरी सांसे चलती है,
तुम्हीं से मुझे खुशी मिलती है,
मेरी हर बात में तुम हो,
मेरी हर सांस में तुम हो।
मेरे ख्वाबों में, ख्यालों में, बातों में,
जज्बातों में, मौन में, मुखर में,
छंद में, बंध में, तुम ही तुम तो हो।-
उसने कहा
बहुत हुई लुका छुपी चलो
अब पहचान आगे बढ़ाते हैं,
आओ कभी हमसे मिलने
आपको गोल गप्पे खिलाते हैं।
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जस्ट फ्रेंड कहते कहते दोस्ती प्यार में
कब बदल जाती है पता भी नहीं चलता,
जिंदगी तब और खूबसूरत हो जाती है,
जब खास दोस्त ही हमसफर है बनता🥰
वैसे भी वो प्यार भला प्यार कैसा,
जिसमें दोस्ती का एहसास ना हो
और वो दोस्ती भला दोस्ती कैसी,
जिसमें प्यार की खुशबू ना हो।-
देह परिवर्तन को शांत, सहज और सरल बनाने के लिए
संथारा या सल्लेखना की प्रक्रिया की जाती है, जैन परंपरा में।
सल्लेखना आत्महत्या नहीं बल्कि शारीरिक और मानसिक तैयारी के साथ
मौत से बिना डरे, शरीर छोड़ने की प्रक्रिया है।
जब शरीर जवाब देने लगे
और लौटने की कोई गुंजाइश न बचे,
तब उनका जबरन इलाज न किया जाए।
ना वेंटीलेटर, न ट्यूब,
ना अस्पताल में बेवजह की दौड़।
आखिरी वक्त शांति से बीते,
जहां इलाज की जिद नहीं, समझदारी हो।
मुझे लगता है मौत से लड़ना बंद करना चाहिए और
उससे पहले जीने की तैयारी करना चाहिए।
जब मौत आए,तो शांति से गरिमा से जाने देना चाहिए।
(शेष अनुशीर्षक में पढ़ें)
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मन आंगन में तेरे प्यार का पौधा, हर पल बढ़ता जायेगा,
तूने प्यार से सींचा है जिसको, वो तो हर पल लहराएगा।
तुम सींचते रहना इसे, शूलों के बीच भी फूल मुस्कुराएगा।
पराग बनें, खिलें पुष्प और, महकेगी बगिया तू सजायेगा।
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खोई- खोई जाऊं तुझमें, मैं जाने कहां हूँ,
ढूंढ ना पाऊं मैं खुद को, अब मैं जहां हूं।
तुम्हारे रंग में रंग कर ही तो मैं खुशनुमा हूं,
तुम ही तुम हो मुझमें, अब मैं कहां हूं।-
गर वो मेरी गजल सुनते, तो रोज सुनाती मैं,
एहसास लफ्जों में पिरोकर, रोज बताती मैं।
वो ना जाने, क्या महसूस करती हूं मैं उनके लिए,
ये बात अल्फाजों से नहीं, आंखों से दिखाती मैं।
मेरे जज्बातों की होती अगर कद्र उन्हें भी,
तो दिल ही नहीं, जां भी उन पर लुटाती मैं।
डूबते अगर वो, मेरी आंखों के समंदर में,
तो उम्र भर उन पर, चाहत का दरिया बहाती मैं।
झूठ ही सही, गर वो करते मेरी तारीफ कभी,
तो उनकी राहों में मोहब्बत के फूल बिछाती मैं।-
अब ऐसा क्या है जो शरमा रही हूं, खुद पर क्यूँ इतरा रही हूं मैं।
मैं सोच रही हूं तुम्हारे बारे में, सोच सोच कर मुस्कुरा रही हूं मैं।-
तेरे संग मेरे दिल की, हर बात गुलाबी है,
जो हमने चाहा था, वो हर राज गुलाबी है।
कुछ वर्ष पहले तुमने, हां कुछ वक्त पहले तुमने,
जो खत में रख भेजा था, क्या जानते हो सजन,
मेरे पास रखा अब तक, वो तेरा फूल गुलाबी है।
होठों से चूमा था जब पलट कर तुमने इन होठों को,
क्या जानते हो सजन तभी से मेरे ये होंठ गुलाबी हैं।
मेरे दिल की हर धड़कन तेरे नाम से धड़कती है,
क्या जानते हो सजन, मेरी हर सांस गुलाबी है।-