Chandra kanta Jain  
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Joined 11 November 2019


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Joined 11 November 2019
56 MINUTES AGO

सत्य कटु होता है जानते हैं सभी,
कोई नहीं चाहता उससे होना दो-चार।
सत्य की चर्चा तो सब करते हैं बहुत
पर कितना रखते हम उससे सरोकार?

आंधी तूफान में भी सत्य की लौ जलती रहे,
इस हेतु हिम्मत का घी डालने की है दरकार।
तभी सत्य का प्रकाश मन में हमेशा रहेगा,
फिर कथनी करनी भी अपनी होगी इकसार।

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6 HOURS AGO

खुद को हमने खुद से बिछड़ते देखा है,
कि तेरे लिए हमने खुद को खुद से लड़ते देखा है।

तेरी चाहत भी क्या कमाल करती है सजन,
कि कई दफा हमने तेरे आगे खुद को झुकते देखा है।

किसी को हो ना हो यकीं, मेरी वफाओं का, मगर
तेरी हर बात पे, नदी की तरह, खुद को मुड़ते देखा है।

माना कि तू मुद्दतों से जुदा है हमसे लेकिन
तुझसे बिछड़ कर भी खुद को तुझसे जुड़ते देखा है!!

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21 HOURS AGO

सच्चे प्रेम का आधार रूप नहीं..
क्योंकि रंग रूप जैसी सतही चीजों के
बलबूते पर किया गया प्रेम इसके ढ़लने
की तरह ही एक दिन खत्म हो जाता है।
प्रेम अपने आप में एक खूबसूरत रिश्ता
है, जिसका खूबसूरती या शक्ल से कोई
ताल्लुक नहीं और जो इस बात को
समझ सकते हैं वही सच्चा प्रेम कर सकते हैं।

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YESTERDAY AT 13:18

लिखूं भी, समझाऊं भी,
हाल-ए दिल सुनाऊं भी,
कुछ कह पाने की हिम्मत
जुटाऊं पर शरमाऊं भी।

जो कर दो तुम इश्क बयां,
सोच के मैं इतराऊं भी,
यूं तो संवरना चाहा नहीं
पर खुद को अब सजाऊं भी।

कभी तो यार तू मौका दे,
मैं वादे करूं निभाऊं भी,
मैं तेरी हूं कुछ भी कर लेना
गर किसी पे नजर उठाऊं भी।

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26 APR AT 13:12

अवसानों की रातों में है उन्नति के दिनमान की कीमत,
लोकतंत्र के इस मंदिर में भारत के निर्माण की कीमत।
जहां स्वप्न को पंख मिले अब आओ वह आकाश चुनें,
बंधु बहुत जरूरी समझो अपने इक मतदान की कीमत।

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25 APR AT 21:30

वो कहते हैं-
तुम तो चांँद हो तुम्हें छूने की हसरत कैसे करें।
बस दूर से ही देखें तुम्हें पाने की चाहत कैसे करें।
हमें तो तुम्हारी जफाओं से भी मोहब्बत है,
अब तुम ही बताओ हम तुमसे नफरत कैसे करें।

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25 APR AT 15:32

प्यार सिर्फ तुझसे ही किया है किसी और से नहीं,
दिल सिर्फ तुझको दिया किसी और को नहीं,
भले ही खाली रह जाए दिल का ये आशियाना,
जो जगह तुझको दी है वो किसी और को नहीं।

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24 APR AT 10:13

टहलते हुए समुद्र किनारे
थामे हाथों में हाथ,
समुद्र की लहरों को धुन पर
नाचते देखा आज
सूरज भी बाहें फैला नये
दिन की शुरुआत कर रहा है,
अपनी लाली बिखेर गगन
का रंग बदल रहा है
रेत पैरों की उंगलियों में फँसकर
अस्त व्यस्त मन को आजाद कर रही है
सुकून को समेटे हुए दिल
और दिमाग में फिर एक बार दोस्ती हो रही है।

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23 APR AT 10:25

झुकी झुकी सी नजरों में ही प्यार समझो,
उमरा उमरा सा इश्क का इजहार समझो।
जो शरमा गया है समझो मोहब्बत में है,
उसकी मुस्कुराहट में छुपा है प्यार समझो

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22 APR AT 9:18



ना काटो ना काटो, हमको मेरे रक्षक भाई।
अरे हमें लगाने वाले रक्षक क्यों बनते कसाई।।

हम धरती की अनुपम शोभा धरती की शान बढ़ाते हैं,
देते हैं तुम्हें फल फूल और पानी भी बरसाते हैं।

क्यों काट हमें तुम सेंक रहे हम मुर्दों पर आज चपाती,
जी लेने दो हमें धरती में जब तक जान नहीं जाती।।

कटने से हम वृक्षों के यह पर्यावरण बिगड़ता है।
जिसके कारण चीख चीख ये मरियल मानव मरता है।।

पर्यावरण विनाश क्यों करते क्यों काट हमें पीते हाला।
मरने के हम बाद स्वयं ही दे देंगे लकड़ी छाला।।

बस इतनी है अर्ज हमारी हे मेरे रक्षक भाई।
करके कृपा हमारे ऊपर दो दिल से तुम हमें दुहाई।।

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