*दृड़ इच्छा शक्ति की मिसाल - संध्या*
उसका घर बाढ़ में डूबा है,जिससे परिवार
के साथ छत पर रहने को मजबूर हो जाती है।
जहाँ अन्य बच्चे मां-बाप की सुरक्षा करते हैं,
वहीं 15वर्ष की संध्या अपने स्कूल निकल जाती है।।
स्कूल जाने वास्ते रोज नाव चलाकर नदी पार करती है।
फिर वहां से वह टेम्पो में बैठकर स्कूल पहुँचती है।।
स्कूल यूनिफार्म में नाव चलाते वीडिओ को देखकर
उसकी पढ़ाई के प्रति समर्पणता साफ झलकती है।
वो मिसाल बन जाती है और किसी भी शिक्षक को
हर हालत में स्कूल पहुँचने को प्रेरित भी करती है।।
वह कक्षायें नहीं छोड़ती क्योंकि कोई टयूशन नहीं लेती है।
परिजनों को बेहतर जिंदगी देने लक्ष्य हासिल करना चाहती है।
उस जैसी इच्छा शक्ति समस्याओं का हल खोजने में मदद करती है।।।
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तेरी सोच और विश्वास में है धार जितनी
तेरे इरादों और तेरे अनुभव की कहानियों में भी
उतनी ही तो है
तेरे डर और तेरी जीत के बीच है दूरी जितनी
तेरे ज़मीन और तेरे आसमान के बीच भी
उतनी ही तो है
लोगों की ईर्ष्या और संदेह में है आग जितनी
तेरे ख्वाहिशों और चाहतों में भी
उतनी ही तो है
तेरी भूल और तेरे अहंकार के बीच है दूरी जितनी
तेरे घुटनों से ज़मीन के बीच भी
उतनी ही तो है
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दृढ़ता जिंदगी जीना सीखाता है,
दुनिया कैसा है,सब का रहस्य बतलाता है,,
स्वयं में क्या हो इसका पहचान कराता है,
जिंदगी को जिंदगी बनाकर जिंदगी के लिए हर राह को दिखाता है।।-
अरे ये आदमी क्यों अकेला है
शायद थोड़ा मनचला है।
अपने गर्व के मद में चूर
शायद नातों को छोड़ चला है।
कुछ ऐसी ही बातें सोचते हैं हम
पर मन में क्या है उसके
न जाने कोई
शायद लक्ष्य उसका बड़ा है
जिस पर वो दृढ़ता से अड़ा है।
ये आदमी आज अकेला है
पर कुछ ही जानते होंगे
ये तो समय के साथ चला है।
आज अकेला है
तो कल इसके जीवन में उत्सव और
मेला ही मेला है।।-
किसी चीज को अपनाने के प्रति दृढ़ता नहीं अपितु सहजता और सरलता जरूरी है।
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कठिन है जीवन,
क्योंकि मैं नहीं,
लोगों की सोच कमज़ोर है।
जो मेरी दृढ़ता को,
नासमझी मान लेते हैं।-