भरोसा है अगर अपनी मोहब्बत पर सच्चा,
यकीन मानिए एक दिन होगा सब अच्छा,
जरूरी नहीं मोहब्बत साथ ही हो हमेशा,
दूरी के बाद भी अक्सर एहसास होता है सच्चा।-
प्लूटो
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पहले नसीहतें होती थीं
कम से कम
एक चिट्ठी लिख देने की
चिट्ठियां बन्द होने पर
हिदायतें हुईं फोन पर बातें कर लेने की
वक्त के साथ फोन भी बंद हो गया
नसीहतें हिदायतें भी
बस एक उम्मीद कायम थी घर बुलाने की
वह भी अब ख़त्म हुई
कल जो मेरे घर के चाँद सूरज थे
अब प्लूटो हो गए..-
ये कहानी सच्ची लगती हैं।।
तेरे हाथों पर मेरा नाम लिखा है
दिल की डोर कच्ची लगती है
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कुछ ऐसे दिन भी मेरी ज़िन्दगी ने पाए है,
आंख रोई है और हम मुस्कुराए है।
सबसे ज़्यादा जो दूर गए मेरे पास से ,
जाने क्यों सबसे अधिक वहीं याद आए है।
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"मिला तो दो"
ऐ चाँद उनको मुझसे, अब मिला तो दो
हमारे प्यार का गुल, अब खिला तो दो |
बिना हमदम जिंदगी, कुछ अधूरी सी लगती है
कब तलक अकेले चलूं, कोई काफिला तो दो।
मैं तो उनके खयालों में, खोया ही रहता हूँ
उन्हें भी मेरे खयालों का, जाम पिला तो दो |
दो अनजान दिलों नें, एक सफर पे चलने की ठानी है
इश्क के इस अंधेरे में, कोई रोशनी झिलमिला तो दो।
चमक सी रहती है उनके मुखड़े पे, जब वो मुस्कुराती हैं
उदास हैं मेरी फिक्र में, चेहरा उनका खिलखिला तो दो।
वो मुझसे अब "नवनीत", इतनी दूर रहतीं हैं
पास आने का हमें, कोई सिलसिला तो दो ||-
कम कर दिया अब मैने उन लोगों से बात करना
मुंह पर कुछ और पीठ पीछे कुछ और होते है
जुबां से मीठा और अंदर से ज़हरीले होते है
तोड़ रहा हूं उन लोगों से रिश्ता
जो मतलब के बीज बोते हैं
झूठे और मतलबी लोग दूर रहें
हम हाथ जोड़ के ये कहते है 🙏-
ये दूरी अच्छी लगती है
मजबूरी अच्छी लगती है
मिलन अब हो नहीं सकता
मांग भी सिंदूरी अच्छी लगती है
मैं कुछ बोल नहीं सकता
वो भी कुछ बोल नहीं सकती
कितना समझाऊँ मैं इस दिल को
कि दास्तान भी पूरी अच्छी लगती है
मुझे वो पहचान न पाए
उन्हें मैं पहचान न पाया
दिल एक दूसरे को कैसे पहचाने
क्या कहानियाँ अधूरी अच्छी लगती हैं
ये दूरी अच्छी लगती है...-
हे भगवान !
हम इंसानों के लिए
अजीब बीमारी आई है,
जिसकी दवाई सिर्फ
दूरी, तन्हाई और जुदाई है ||......-