उलझ सी गई है ये जिंदगी इन बालों की तरह।
एक एक कर इनको सुलझाते जा रही हूं मैं,
सब कुछ पाकर भी सबसे दूर होते जा रही हूं मैं।-
तुमसे अब और दूर, नहीं रह पाया
तुम्हारी ही डगर देखो मैं, लौट आया
दौलत हो तुम मेरी, मैं तुम्हारा सरमाया
धड़कन से जुदा दिल, कब है जी पाया
ना दिन मैं चैन कभी, ना रात में सो पाया
अश्क़ों से कर ली यारी, मैं नहीं मुस्कुराया
मैंने उस एक शब से, कुछ पेट भर न खाया
कुछ खिला दो ना, वक़्त न करो और ज़ाया
हो गया है इल्म, तू है जिस्म मेरा, मैं तेरा साया
न जाने क्या लिखा लकीरो में, क्या चाहे ख़ुदाया
डूबा हूँ तुम में कुछ इस क़दर, मैं ना उबर पाया
जब से बिछड़ी हो तुम मुझसे, मैं 'मैं' ना रह पाया
तुम्हारी ही डगर देखो... मैं लौट आया
- साकेत गर्ग 'सागा'-
आज भी नहीं छुपा पाता अपने जज़्बात में उनके आगे
उनके आगे मैं हमेशा, जैसा हूँ वैसा ही हो जाता हूँ
उनका नहीं था तब भी, उनका हो गया तब भी
सारी दुनिया समझती है मुझे बे-दिल बे-जज़्बात
मैं केवल उनसे ही अपना अक्स साझा कर पाता हूँ
अश्क़ भी केवल उनके आगे बहाता हूँ
बचपना भी एक उन्हें ही दिखाता हूँ
हक़ जताता हूँ, बे-हद जताता हूँ
रूठ जाता हूँ, कभी उन्हें मनाता हूँ
गुस्सा है तो गुस्सा, प्यार है तो प्यार
सब केवल उनसे दिल खोल ज़ाहिर कर पाता हूँ
गुस्सा यूँ ही नहीं होता उनसे
उन्हें सुनाने के मन से, यूँ ही नहीं रूठ जाता हूँ
केवल उनकी फिक्र का मारा हूँ, इसलिये परेशान हो जाता हूँ
आज भी है उनका, मुझ पर उतना ही हक़
मैं भी तो बस उन पर, फ़िर से वही हक़ चाहता हूँ
फिक्र रहती है मुझे उनकी, ख़ुद से ज्यादा
बस यह बात आसान शांत लहजे में नहीं कह पाता हूँ
उनका दूर जाना मुझसे, मुझसे कटना या मेरा हक़ किसी और को दे देना
थोड़ा-सा भी मैं, ना जाने क्यों आज भी सह नहीं पाता हूँ
न-जाने क्यों मैं ऐसा हूँ, क्यों ख़ुद को नहीं बदल पाता हूँ
है बस इतना पता कि फिक्र है उनकी
मैं उन्हें आज भी बे-हद, बे-हद और बे-हद
बे-हद क्या, मैं आज भी उन्हें ख़ुद से ज्यादा चाहता हूँ
- साकेत गर्ग 'सागा'-
कुछ लोग अपने पास बुलाकर फिर दूर कर देते है।
न चाहते हुए भी मुझे लिखने को मजबूर कर देते है।-
मेरा हमसफर ही नही
मेरी ज़िंदगी भी है तू
लाख कोशिश कर ले दुनिया
हमें अलग करने की
मगर दूर हो कर भी करीब है तू
वक़्त गवाह है इस बात का
लोगो ने अलग अलग रूप से हमें
कैसे अलग करने की कोशिश की
कैसे कैसे दिन देखे हम दोनों ने
मगर वक़्त की मार ने उनको ऐसा
सबक दिया की उन्होंने भी हमारे प्यार
के आगे सर झुका लिया
आज खुदा गवाह है तू मेरी ज़िन्दगी
ही नही मेरा हिस्सा है तू।।।
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मिलो के फासले भी क्या खूब होते है
यकीन मानो दूर के रिश्ते दिल क़रीब होते है।-
बहुत चाहने पर भी
जब मैं कुछ भी नहीं लिख पाती हूँ
तो मैं स्वयं को
किसी बीहड़ में
निरूद्देश्य भटकती हुई पाती हूँ
कंटीली झाड़ियाँ
पथरीला रास्ता
तिस पर मेरी उद्विग्नता की यात्रा
मैं स्वयं से
स्वयं को
दूर होती हुई पाती हूँ-
खफा हो गई जो मुझ से
तुमसे दूर चला मैं जाऊंगा
तेरी ख्यालों में ना आऊंगा
तेरी ख्वाबों में ना आऊंगा
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कमी तो कमी होती है,,,कमबख्त एहसास भी तब होता है...
जब खुद को तकलीफ हो और , अपने बहुत दूर हों.😢-
समझा दो अपनी यादों को
बिन-बुलाए आया करती है
तुम तो दूर रह कर सताती हो
मगर वो पास आके रुलाया करती है-