What happened! Whoever is not there, are we not helpful to ourselves…!
माना ! जिंदगी में गम बहुत हैं, खुशियां बेशुमार नहीं...
पर दो पल हम मुस्कुरा ना सकें, इतने हम बीमार नहीं।।
डूबने वाले के लिए तो, तिनके का सहारा बेकार नहीं...
और तिनका भी पा ना सकें, तो इतने हम लाचार नहीं।।
क्या हुआ! जो कोई साथ नहीं, क्या हम खुद के लिए मददगार नहीं...!
जब तक सांसें चलती हैं, जीना इतना भी दुश्वार नहीं।।
माना ! वक्त बहुत नाज़ुक है और मौसम खुशगंवार नहीं...
पर इक झोंके में ही बिखर जाएं, तो इतने हम सुकुमार नहीं।
कोई सुने! या ना सुने! ...
सुनेगा वो...चाहेगा वो...
जिसमें स्वार्थ की कोई दीवार नहीं।।
सभी का है वो ,सभी उसी के हैं....
कभी होते जिसके दीदार नहीं...।।
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