DR Nirankush V. Khubalkar   ("नीर")
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Joined 18 April 2018


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Joined 18 April 2018

From top to bottom,,
from the round of a pair of bumps to a pair of round Bums..
Fingers play a wonderful job of tingling upper bumps...to
Making you ooze from down inside the pink valley..
Oh!.. And it straitens the rod my down there,, really...

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Oh, you said, in you, you want me to inject some lust and desire..
What a desirable demand, I'll not only inject in, but also ignite fire..
Then don't blame me about the resultant consequences dire..
It's a lovable, I offer you myself for hire to fulfill your cherished desire..

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सुर्ख नर्म लबों से लब सिले, बोसा लिया इतना गहरा..
दिल उछल कर बाहर लपका, सीने में ज़रा भी न ठहरा..
बदन से बदन को मिली गर्मी, जो था नाजुक छरहरा..
फिर क्या ऐसा पिघला रस जो भरा, तड़पा उठा थरथरा..

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रेत के घर बनाते रहते वही लोग, जो दिन में ख़्वाब देखते हैं,
ढ़ह जाते ऐसे घर कभी भी, जैसे वे ख़्वाब बिखरते रहते हैं..
रेत से बने घर ख़ूबसूरत होते हैं, मगर ज़्यादा नहीं टिके रहते हैं,
जैसे दिन में देखे ख़्वाब, सच होने की गुंजाईश नहीं रखते हैं..
सोच समझ कर घर बनाने के देखे हुए सपने सच हो सकते हैं,
ऐसे किसी घर की सजाई तस्वीर को सच में उतार सकते हैं..
आसमाँ से टूटते तारे से माँगी ख़्वाहिशें पूरी नहीं कर सकते है,
क्यूँ की ऐसे तारें धरती पर पहुँचने की क्षमता नहीं रखते हैं..
रेत के बने घर में रह सकने की, बेवकूफ़ी नहीं कर सकते है,
"नीर", बेहतर कही तुम्हारी ये बातें, सब लोग समझ सकते हैं..

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यानी ऐसी कोई जगह नहीं घर में..
जहाँ तुमने अपनी इश्क़-ओ-हवस को हवा न दी हो.

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कौन कहता है कि "निधि" बुरी है..
अरे उस दुनिया में ज़रूरत नहीं तुम्हारी,
इसी धरती पर बसती दुनिया अच्छी है,
चाहते है तुम्हें भी, बस साथ रहो हमारी..

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न सोचो ज़ोया इस तरह, वाहियात लोग है कुछ, जो कौम को किसी की, बदनाम करते हैं..
सच तो यह भी हैं कि, वो ही लोग हमारी नज़र में, हमारी कौम को भी, बदनाम करते हैं..
तुम्हें बदनाम न होने देंगे, हम में हैं वो काबिलियत,
यकीनन, ये वादा तुम्हारे नाम करते हैं..
जलालत का शिकार कभी होने न देंगे,
ऐसी वकालत बेफ़िक्र रहो तुम, सरेआम करते हैं..

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सीने से पल्लू नीचे गिरा के, जब उसने दिया
अपने जलवा-ए-हुस्न का तड़का..
बढ़ा के दिलों की धड़कन, हर बन्दे के सीने में
हाय के साथ शोला भड़का..

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रूह वही थी आसपास,
बेबस हो कर
बदलते ख़रीदार
देखती रही..

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मुझमें तुम इस तरह
समाए रहे कि
मैं ख़ुद को ही
तलाशते रह गया,
उम्रभर

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