शुभ दीपावली!
शेष अनुशीर्षक में-
आओ इस दिवाली,
कुम्हार की अमूल्य मेंहनत को घर का चिराग बनाकर सम्मान देते है
आओ इस दिवाली,
सरहद पर खड़े जवानों को उपहार संग अटूट हौसले का मनोबल देते है
आओ इस दिवाली,
धूप,पसीने से लड़कर अन्नदाता किसान को अधिशेष प्राप्ति की अग्रिम बधाई देते है
आओ इस दिवाली,
भूखे बच्चो को पटाखों के रुपयों से स्वादिष्ट भोजन संग पुस्तक देते है
आओ इस दिवाली
अपने स्वहित की कुंड में आहुति देकर जनहित उत्थान की पुकार देते है-
प्रज्वलित हो घर मे दिया,
अदम्य विश्वास का वास हो,
घर द्वार हो गणपति आपके,
अंदर माँ लक्ष्मी का वास हो,
बुराईयां सारी हटे सारे दुःख मिटे,
दरिद्रता का नाश हो,
रहे घर द्वार खुशियां आपके,
सर पर हमेशा धन कुबेर का हाथ हो,
करना रोशन उनका भी घर,
जिनके घर अंधकार का वास हो,
खुशियां जितनी भी मिले,
बांट लेना तुम साथ इस दीवाली,
हर दीवाली घर रोशन हो आपका,
ऐसा ईष्ट पित्रो का आशीर्वाद रहे।
शुभ दीपावली🙏😊-
मेरे घर की गुजिया वो बड़े शौक से खाता है,
वो ईद मनाने वाला मेरे साथ दिवाली भी खूब मनाता है-
धुआं उड़ाते उड़ाते न जाने कब अंदर सांसें खाली हो गयी
सिगरेट तो संजीवनी दर्शाती है मुज़रिम दीवाली हो गयी।-
संध्या की पदचाप सुन लो,
आ रही चुपचाप सुन लो,
रंग और गुलाल भर के
आसमां में उड़ा गई,
चांद के दीए में बाती
डाल के लौ जला गई,
जगमग सितारों की
रौशनी वो बिछा गई..
होली समझूं या दिवाली
दोनों का रंग जमा गई।
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रोशनी पूंजी नहीं है, जो तिजोरी में समाये,
वह खिलौना भी न, जिसका दाम हर गाहक लगाये,
वह पसीने की हंसी है, वह शहीदों की उमर है,
जो नया सूरज उगाये जब तड़पकर तिलमिलाये,
उग रही लौ को न टोको,
ज्योति के रथ को न रोको,
यह सुबह का दूत हर तम को निगलकर ही रहेगा।
जल गया है दीप तो अंधियार ढल कर ही रहेगा।-
जब से सौंपा है मैंने अपने साँसों का दिया तेरे हाथ में,
वन्दन है प्रभु से की मैं मनाऊँ हर दीवाली तेरे साथ में!-
जब 'दीवाली' में 'अली' और
'रमजान' में 'राम' बसते है,
तो जातिवाद के नाम पर भला
हम क्यों लढते रहते है...?-