होते है धन के कई स्वरूप तो कई होती है परिभाषायें धनी की अपार तो निर्धन की होती है छोटी-छोटी आशाएं कोई आभूषण ,कपड़ों,संपत्ति पर करता है अभिमान कोई संस्कारों की दौलत संग कराता है अपनी पहचान इस ऊँच-नीच दिन के बाबजूद भी हर एक पल सरस है किसी के घर धनतेरस तो किसी के घर धनतरस है -चेतन भारतीय
जय जनतंत्र विजय गणतंत्र देश भक्ति बने सदा हमारा मंत्र दुनिया का दिग्दर्शक बने भारत कर्मठता की लिखें इबारत ध्वज तिरंगा लहराये सदा संविधान की करें इबादत । रीति रिवाज,संस्कृतियों व सभ्यता में श्रेष्ठ है भारत नतमस्तक हूँ तेरे आगे मेरी अभिमान है भारत - चेतन गणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएँ— % &