QUOTES ON #दिशा

#दिशा quotes

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16 NOV 2018 AT 17:51

अभिव्यक्ति
मन की यात्रा का
वो पड़ाव है
जहाँ पहुँच कर जीव
उस दिशा में
और भी ऊपर
जाना चाहता है ।

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5 SEP 2021 AT 7:30

विषय: दिशा गुरूमुळे..!

आई आद्य गुरू।हाती पाटी खडू।
दिले बाळकडू।माझ्या जीवा॥१॥

कुंभार मडका।आकार देऊन।
संस्कार लावून।शिष्य घडे॥२॥

चरणाचे स्पर्श।होता जीवनाला।
दिशा प्रवासाला।विद्यार्थ्यांच्या॥३॥

फक्त काया नव्हे।सम्यक विचार।
समृध्द आचार।गुरू असे॥४॥

गुरूविना किर्ती।आहे असा ज्ञानी?।
पाहे विद्या वाणी।जगामध्ये॥५॥

गुरू मार्गे सदा।सत्य शोध असे।
द्वेष,गर्व नसे।त्यांच्या कार्या॥६॥

शब्द अमृताच्या।प्रसादाला घ्यावे।
आत्मतृप्त व्हावे।ज्ञाना वाटे॥७॥

अन्याय विरूद्ध।लढ विरांगना।
ज्ञान 'स्व'रक्षणा।गुरू मुळे॥८॥

संगीताला पुज्य।ग्रंथगुरू आहे।
स्वप्न पूर्ती पाहे।आयुष्यात॥९॥
©®
कु.संगीता सुरजलाल हत्तीमारे
(विजया)जि.गोंदिया.

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24 JUN 2020 AT 8:40

"कड़ी मेहनत के साथ सही दिशा का होना बहुत जरूरी है"

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18 MAR 2021 AT 19:41

"If you are busy in the right direction, So it will not take time to change the condition."

"अगर आप सही दिशा में व्यस्त हो,
तो दशा बदलने में वक्त नहीं लगेगा।"

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27 MAR 2018 AT 19:26

निशा का नशा है
या नशा ही निशा है
रास्ते खो गये हैं
भटकी हुई दिशा है

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7 MAR 2019 AT 19:10

कभी फुर्सत मिले तो
सूर्यास्त के बाद के
आसमान को देखना।
नीला रंग धीरे धीरे
नारंगी से गुलाबी
और फिर पीला होते हुए
क्षितिज की ओर
काला हुआ जाता है।
उत्तर और दक्षिण की ओर
रह जाते हैं मात्र
नीले और गुलाबी रंग,
एक भंगुर पीले रंग की रेखा से
विभाजित हुए।
जिस दिशा में प्रभातकाल का सूर्य
कुछ ही देर पहले उदय हुआ था,
वहां का आसमान अब अकेले ही
नीला रह जाता है।
इस आसमान को ध्यान से देखोगे
तो जान पाओगे
विभक्ति की दिशा
सदा अस्त होने की दिशा है।

- सुप्रिया मिश्रा

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1 JUN 2022 AT 22:10

आनंद जीवन में महत्वपूर्ण व्यक्तित्व बनाना है
न कि कोई पद सामर्थ् सामग्री आदि कमाना है।

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12 AUG 2020 AT 9:45

तुम मुझे दे दो ज्ञान की सही परिभाषा
मैं तो जानूं न जानूं न आर्यों की भाषा

माताजी ने वेदों का परिचय दिया
पर मैंने अब तक कहां स्वीकार किया

डरती हूं आज भी भगवान के श्राप से
जबकि अनजान नहीं न्याय दर्शन की बात से

मेरा मन बन ही नहीं पाता अनुरागी
मेरा मन तो है बहुत ही अभिलाषी

सोचो राह वेदों की पकड़ लूं
सत्य का थोड़ा प्रकाश लूं

पर मुझमें इतना है डर
रोज करू मैं अगर मगर

माताजी मुझे गुरुकुल लेे गई
मुझे सही शिक्षा भी तो दी

मैं ही उनकी उम्मीद पर खरी न उतरी
आज भी जाने कहां हूं मैं अटकी

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14 AUG 2020 AT 14:48

एक बंद सी कली
जब उसे सूरज की धूप मिली
वो कुछ मुस्कुरा कर खिली
भौरा लूट ले गया था सपने सारे
उस सूरज की किरण में जाने क्या था
वो फिर सपने देखने लगी
जानती थी सत्य और काल्पनिकता का अंतर
पर फिर भी खुद से प्यार करने लगी
उस किरण ने हौले हौले उसे जीवन का अर्थ था बताया
क्यों ईश्वर ने उस कली को था बनाया
व्यर्थ जीवन न गवां
अपनी खुशबु तू फैला
वो किरण उसे समझा गई
जीवन में एक नई रोशनी अा गई
सही दिशा मिली कली को
वो रहती अब खिली खिली सी

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9 AUG 2017 AT 1:45

एक समय की बात है....
नेता बिक रहे थे, नदियाँ बिक रही थीं, पेड़ बिक रहे थे, गाँव बिक रहे थे, लोग बिक रहे थे, शहर बिक रहे थे, शर्म बिक रही थी, देश बिक रहा था....

ठीक उसी समय लेखक किताबों के बिकने पर बहस कर रहे थे...!

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