मिलकर करें जो प्रयास
होगी सफ़ल उनकी आस।
कभी तो बरसेंगे बादल
कभी तो बुझेगी प्यास।।-
ये विरासत कल किसी और की थी,
न जाने वो पहरू कहां हो गए गुम ।
अनमोल हैं ये पहाड़ धरोहर हमारे,
गांवों को बचाने का प्रयास करें हम।
पसीना बहा कर बनाया आशियाना,
यूं ना उजड़ने दो कुछ तो करो तुम।
एक पहाड़ी होने के अस्तित्व को
शहरों की चकाचौंध में भूल गए हम।
दो वक्त की रोटी जुटाने को
बाखली वो वीरान कर आए हम !-
नव चेतन मनभावन आनंद हो ।
सुखद समृद्ध सत्य ही बुलंद हो।।
आभा किरण पाकर ओश जगे।
सन्मार्ग पथ नित नए जोश जगे।।-
नि रै म्यारा हाथ में
पहाड़ोंकी जवानी।
द्वि रोटी का खातिर
गों हैगी खाली ।।
आब के करूं !
कथगै जानू।
सुकि गई
नौल धारों का पानी ।।-
हां बुझेगी प्यास, लगाए बैठे हैं आश।
बासुकीनाग पेयजल योजना है खास।।
जगेगी किस्मत हमारी भी सुनिए सरकार।
जल जीवन मिशन हमें भी चुनिए सरकार।।
नौले धारे सूख गए और सूखे गए गधेरे ।
ऊंचे धुर गौ के रहने वाले हम जो ठहरे।।-
जल जीवन योजना ऐरे
खुशि है रैई सब।
डान कानों में गौ छु म्यार
नि हां पाणी त्वप ।।
बासुकीनाग योजना बड़ी
आब पुजैली कब ?
धामी ज्यु थै विनती कनु
सीमा लेटीक सब ।।-
गांव से दूर जाकर
बचपन भी भुला दिया ।
वो खेत खलिहान रोते रहे,
मां की ममता को भी रुला दिया ।।-
जल जीवनैकी योजना
नि पूजि बासुकीनाग ।
हाथ जोड़ी पात जोड़ी
जनता हैगे निराश ।।
गव लै सुखि गो आब
हकाहाक करन करनै ,
कैली नि सुणि धामी ज्यु !
रैगयूं धताधात करन करनै ।।
धुर जंगव सुखण फैगी
पाणि पाणि कै ।
चाड़ पोथ झूरण फैगी ,
पाणि पाणि कै ।।
कागज़न में योजना बणि
कागजन में हैगे पुरि ।
जैकि नामैकि योजना
वी तलक किलै नि पूजि ?-
अक्षम घड़ियों में जब कुछ न सूझे ,
तमाशबीनों की परवाह न करना ।
मन भवितव्यता से निकालकर ,
अभिनव कार्य का अभिनय करना ।।
निज प्रभा का ध्यान रखना,
तू वेग है उस तेज का !!
प्रतिपल प्रताप का मान रखना ।।-