faizan anjum   (फ़ैज़ान_)
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औक़ात की हर लड़ाई का हथियार अंग्रेज़ी थोड़े ना है।।
Joined 22 January 2017


औक़ात की हर लड़ाई का हथियार अंग्रेज़ी थोड़े ना है।।
Joined 22 January 2017
8 MAR 2022 AT 21:40

Us Aurat Par Kya Sher Likhu'n

Jo Ghazal hai Allah'Taala Ki

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12 SEP 2021 AT 19:32

मोहब्बत की कहानी में कोई आशिक़ मरा होगा
बेबस माँ ने तंग आकर कोई शायर जना होगा

मिन्नत है इलाही से क़ज़ा के वक्त अंधेरा हो
फरिश्तों की कतारों में मेरा माज़ी खड़ा होगा

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3 AUG 2021 AT 21:37

तुम्हारे पास आएंगे तो मां को कौन देखेगा?
बिना वालिद के बेटा इश्क़ करना भूल जाता है

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27 APR 2021 AT 0:07

बहुत तौबा किया तौबा मगर होता नहीं तौबा
मेरी तक़दीर पे लेकिन असर होता नहीं तौबा

निगाहें खोलता जब चारसू साकित अंधेरा है
वबा के रात का काहे सहर होता नहीं तौबा

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14 MAR 2021 AT 17:44

आसमां वाले ने अपने घर बुलाया है तुम्हें
ये ज़मीनी मक़बरा है क्या हुआ ख़ाली करो

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24 JAN 2021 AT 18:32

मोहब्बत की कहानी में कोई आशिक़ मरा होगा
बेबस माँ ने तंग आकर कोई शायर जना होगा

मिन्नत है इलाही से क़ज़ा के वक्त अंधेरा हो
फरिश्तों की कतारों में मेरा माज़ी खड़ा होगा

हिम्मत जब बुलंदी पर पहुँचकर ख़ूब इतराए
समझना एक बच्चे को कहीं चिलगम मिला होगा

इबादत में दुनियावी ख़्यालों की ही शिरक़त है
बने होगे नमाज़ी तुम.. क्या मुश्किल हुआ होगा

इरादें बांधना फिर सोचना फिर तोड़ देना 'फ़ैज़'
तुम्हारे लिए इससे ज़ादा और क्या बुरा होगा ।।

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9 JAN 2021 AT 20:13

सुनाने को अब तक है ढेरों कवायद
बताने का लेकिन अब मन भी नहीं है

तुम्हें शक है रातों में सोता नहीं मैं
मुझे रात भर नींद आती नहीं है!!

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8 SEP 2017 AT 15:38

फ़राग़त में मिलना तो कुछ तहज़ीब भी लाना

कुछ बात कहनी है हमे उर्दू ज़बान में ।

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9 AUG 2017 AT 1:45

एक समय की बात है....
नेता बिक रहे थे, नदियाँ बिक रही थीं, पेड़ बिक रहे थे, गाँव बिक रहे थे, लोग बिक रहे थे, शहर बिक रहे थे, शर्म बिक रही थी, देश बिक रहा था....

ठीक उसी समय लेखक किताबों के बिकने पर बहस कर रहे थे...!

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25 MAY 2017 AT 16:19

ख़ुदा-ए-शहर मुझे मुस्तक़बिल मे ज़िंदा रख,

मै बच गया तो नइ नस्लों को उर्दू सिखाऊँगा !

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