Us Aurat Par Kya Sher Likhu'n
Jo Ghazal hai Allah'Taala Ki
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मोहब्बत की कहानी में कोई आशिक़ मरा होगा
बेबस माँ ने तंग आकर कोई शायर जना होगा
मिन्नत है इलाही से क़ज़ा के वक्त अंधेरा हो
फरिश्तों की कतारों में मेरा माज़ी खड़ा होगा-
तुम्हारे पास आएंगे तो मां को कौन देखेगा?
बिना वालिद के बेटा इश्क़ करना भूल जाता है
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फ़राग़त में मिलना तो कुछ तहज़ीब भी लाना
कुछ बात कहनी है हमे उर्दू ज़बान में ।-
एक समय की बात है....
नेता बिक रहे थे, नदियाँ बिक रही थीं, पेड़ बिक रहे थे, गाँव बिक रहे थे, लोग बिक रहे थे, शहर बिक रहे थे, शर्म बिक रही थी, देश बिक रहा था....
ठीक उसी समय लेखक किताबों के बिकने पर बहस कर रहे थे...!-
ख़ुदा-ए-शहर मुझे मुस्तक़बिल मे ज़िंदा रख,
मै बच गया तो नइ नस्लों को उर्दू सिखाऊँगा !-
मोहब्बतें बा-खूब पलती हैं मज़मून मे तेरे,
दुआएँ और सदाएँ झूमती हैं क़सरे-सुकून मे तेरे,
मुक़म्मल हो गया आज एक बरस इस नायाब रिश्ते को,
बन के द़ानियल बक़्शेगा ये वक़ार मामून में तेरे ..!-
तिश्ना लबों से जब हर बार गालियों की बौछार होती हैं,
बदले में माँ-बहन की बेइज़्जती सर-ए-बाजा़र होती हैं !-
नही रही ज़िंदा अब मुहब्बत इस ज़माने में,
कई रात हराम हुई हैं बस एक तुझे कमाने में,
और बड़ी आसानी से तुमने सब कुछ ख़ाक कर दिया,
मैने तो एक अरसा लगाया था बस तुम्हें संजोने और सजाने में...!-
वो एक सोच़ के जो ठीक दिखे वही़ बोलना,
वर्ना ऐसी बातों के लिए मुँह ना खोलना!
सोचता हूँ मैं क्यूँ अब चुप रहूँ,
क्या किसी जानवर को जानवर ना कहूँ !!-