बेचैन है , बिखर सा गया है
मयखाने में आकर सुकून ढूँढता है
अनजान है कि किधर आ गया है-
शब्दगुरु
(शब्दगुरु ॰ IG : Shabd_Guru)
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Think U Write .. Write U Think..
Joined 18 October 2018
6 MAR 2024 AT 17:28
6 MAR 2024 AT 4:39
चीजों के लिए तरसते थे
फिर भी खुश थे
ग़रीबी के किसी दौर में
आज सब हासिल है पर
हसरते खो गई हैं
ज़िंदगी की भाग दौड़ में
वो वक़्त याद आता है
ठिठक जाता हूँ
यूँ ही किसी भी मोड़ में
चीखता हूँ ख़ुद पर
आवाज़ दब सी गई है
शायद इस शहर के शोर में-
15 FEB 2024 AT 19:09
जो तुम्हें
नीचा दिखाने की कोशिश करें
बात से नहीं
उन्हें काम से झुकाने की कोशिश करें-