शब्दगुरु   (शब्दगुरु ॰ IG : Shabd_Guru)
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Think U Write .. Write U Think..
Joined 18 October 2018


Think U Write .. Write U Think..
Joined 18 October 2018

बेचैन है , बिखर सा गया है
मयखाने में आकर सुकून ढूँढता है
अनजान है कि किधर आ गया है

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चीजों के लिए तरसते थे
फिर भी खुश थे
ग़रीबी के किसी दौर में

आज सब हासिल है पर
हसरते खो गई हैं
ज़िंदगी की भाग दौड़ में

वो वक़्त याद आता है
ठिठक जाता हूँ
यूँ ही किसी भी मोड़ में

चीखता हूँ ख़ुद पर
आवाज़ दब सी गई है
शायद इस शहर के शोर में

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शिकायतों की तकरार की
सच्चाई है समझौता भी है
हक़ीक़त है ये प्यार की ।

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ख़ुद को पहचानो
हर मर्ज़ की दवा है ये
तुम मानो या ना मानो

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मैं सुनूँगा अब आप कहो

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रिश्तों में उमंग हो मस्ती हो
लेकिन बिना ज़बरदस्ती हो

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जो तुम्हें
नीचा दिखाने की कोशिश करें
बात से नहीं
उन्हें काम से झुकाने की कोशिश करें

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मैंने ऐसा क्या गुनाह कर दिया

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अधूरा रहे , तो भी लाजवाब है

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कोशिश का धक्का तो दीजिए
ये बात खुद तक मत रखिए
औरों को भी बोल दीजिए

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