ना छोड़ेंगे साथ कभी
न टूटेगा प्यार का दामन कभी
ये वादा रह जो तुमने दी हिदायत कभी
तो सर झुका के कबूल होगी सभी...
ये वादा रहा तुमसे छूटेगा ना साथ कभी.......
तुम्हारा हर दुख मेरा तुम्हारी हर तकलीफ मेरी
अकेला न छोडेंगे बीच मझदार में कभी
ना आने दूंगी आंसू तुम्हारी आँखों से कभी
तुम्हारी खातिर पीना पड़े अगर ज़हर तो कभी
हँसते हँसते पी जाऊंगी.....
ये वादा रहा तुमसे ना
छुटेगा साथ कभी......
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लोग अपने पहलू छुपा लेते है इस कदर,
जैसे दामन में उनके कभी दाग़ ही ना थे।-
_नकाब_
तेरे दामन की खातिर
जिनेका हिसाब बदला है...
रूह वही पुरानी है दोस्त...
हमने बस नकाब बदला है...
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छुपी हैं अनगिनत कहानियाँ लफ़्ज़ों के दामन में
कोई पढ़ न सका मुस्कुराहट में छिपी दास्तां-
अभी-अभी किसी का दामन छुड़ाकर आया हूं,
थोड़ा आज़ाद तो रहने दो ।
एक डोर ने बांध रखा था कई दिनों से मुझे,
थोड़ा बेब़ाक अब तो उड़ने दो ।
कहने को तो सारा आसमान मेरा है,
थोड़ा मुझे भी स़ैर करने दो ।
और ये क्या ?
तुम फिर से इश्क के किताब लेकर बैठे गए,
साहब!!
अभी मुझे इससे अनजान ही रहने दो ।-
गर देख लेते आईना उंगली उठाने से पहले,
छींटाकशी दामन की कम हो गई होती !-
आज तू क्यों उदास बैठा है,
ख़्वाहिशों के पास-पास बैठा है!
बटोर ले खुशियां अपने दामन में,
तू प्यार के समंदर के पास बैठा है!
गम की छत आशियां नहीं होती,
तू इस कब्र के पास क्यों बैठा है!
जिंदगी आफतों की जीने को,
क्यों अपना सौभग्य मान बैठा है!
खोल कर आँख फ़लक़ देखो तो,
देख, आस में तेरी यह वक्त बैठा है!-
पता नही
जाने कौन सी दुनिया से आये हो तुम
तुम मेरे लिए इंसान के रूप में खुदा
का ही एक फरिश्ता हो
जिसने मेरे दामन को खुशयों
से भर दिया ।-
मेरे यक़ीं से उसका कम था ऐतबार, मानेगी नहीं,
वो हार तो जाएगी मुझसे, मगर हार मानेगी नहीं!
मेरी मजबूरियाँ समझती है, उसे ये ख़बर थी बेशक,
उम्मीद छोड़ दे दामन, कम्बख़्त इंतज़ार मानेगा नहीं!-
वो....
बहानो के दामन में
छिपते रहे,और,,,
हम....
उनके इंतजार में
जीते रहे,,,,,।-