माँ चित्त मेरे घनघोर अंधेरा,
ढूढ़े नित अब नया सवेरा!!
तुम ही अब कोई मार्ग दिखाना,
विपदा में मेरी लाज बचाना!!
मैं अज्ञानी तुम सर्वज्ञाता,
हम अबोध तुम सबकी माता!!-
मन को खोया,
मन को पाया,
मन की माया,
मन भरमाया,
मन को रचा,
मन को बसा,
मन को रोया,
मन को हँसा,
मन को तृप्त,
मन को विस्तृत,
मन को अकुलाया,
मन को संक्षिप्त।
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इश्क़ ने दस्तक दी ज़रा देखो कौन आया हैँ,
वो अंदर हैँ मेरे या मन फिर से भरमाया हैँ!
इत्र की ख़ुशबू नहीं फिज़ाओ में बिखर जाये,
वो तो कस्तूरी सा हैं जो मुझ में ही समाया हैं!
फूलों की रंगत, गुलशन की चाहत कुछ नहीं,
वो तो माटी सा मेरी जिसने ये जहां बसाया हैं!
ये किताबी इल्म दुनियादारी में ही रहने दीजिये,
लफ्ज़ ए इश्क़ पढ़ा जाना क्या खोया पाया हैं!
रहने भी दीजिये ये जेहन की बातें अब जेहन में,
लगता हैं मेरी ख़्वाहिश ने ख्वाबों को जगाया हैं!
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सब चाँद की ज़िद्द लिए बैठे हों,
तुम ख्वाबों को भी जगाओ ज़रा।
कागज़ी फूलों से दिल बहलाते हों,
कभी अपनी रूह को मेहकाओं ज़रा।
तुम बात बेताब सुर्ख लहजे से हों,
कभी दर्द से आँखों को भीगाओ ज़रा।
जेहन ए दूरी को अपना कहते हों,
कभी मेरे साँसों के करीब आओ ज़रा।
मैं उलझने बुनता रहा यहाँ हर पहर,
तुम आकर उन्हें सुलझाओ ज़रा।
Anant🌿🌿-
विरक्ति और रिक्ति में सिर्फ़ एक ही अंतर है।विरक्ति में शेष के लिए भी शेष कुछ नही किंतु रिक्ति में अनंत शेष में से एक शेष सदैव होता है।
अनंत✨-
तुम्हीं से रौशनी थी मेरे जहां में,
तुम्हीं ने ताल्लुक़ अँधेरे से जोड़ लिया।
अब क्या बचा इन सुर्ख़ साँसों में,
बाद तेरे जिस्त से मैंने भी मुँह मोड़ लिया।-
वही मिला मुझको जिसकी मुझे हसरत हुई,
टूटकर मिले टुकड़े दिल के उनसे नफ़रत हुई,
हम भागते रहे जिसकी चाहत में ताउम्र यहां वहां,
एक नज़र देखे इतनी कहाँ उनको फुरसत हुई!!-
ख़र्च की है मैंने अश्क़ों की सौगात सारी रात,
तुम्हारी सौ अदा पे भी बोझिल मेरी एक बात!!
तुम्हारा ठौर ठिकाना भी मालूम मुझको अब,
पर चाँद से अच्छी टिमटिमाती तारो की बारात!!
कभी बदली करवटे कभी जागे वही जज़्बात,
अधूरे से रहे हम मुकम्मल तेरे हर ख़यालात!!
कट गई या मय्यसर नही हम दोनों का साथ,
सागर सा दिल कर दिया समझा तूने ज़कात!!
जो मिली उल्फ़त सीने से लगा लिया था मैंने,
आज भी समझते हो जिसे तुम कोई ख़ैरात!!-
हुए शामिल तो मालूम हुई ये तन्हाई,
दर्द अपना होता रहा हुई प्रीत पराई!!-