विरक्ति और रिक्ति में सिर्फ़ एक ही अंतर है।विरक्ति में शेष के लिए भी शेष कुछ नही किंतु रिक्ति में अनंत शेष में से एक शेष सदैव होता है।
अनंत✨-
तुम्हीं से रौशनी थी मेरे जहां में,
तुम्हीं ने ताल्लुक़ अँधेरे से जोड़ लिया।
अब क्या बचा इन सुर्ख़ साँसों में,
बाद तेरे जिस्त से मैंने भी मुँह मोड़ लिया।-
वही मिला मुझको जिसकी मुझे हसरत हुई,
टूटकर मिले टुकड़े दिल के उनसे नफ़रत हुई,
हम भागते रहे जिसकी चाहत में ताउम्र यहां वहां,
एक नज़र देखे इतनी कहाँ उनको फुरसत हुई!!-
ख़र्च की है मैंने अश्क़ों की सौगात सारी रात,
तुम्हारी सौ अदा पे भी बोझिल मेरी एक बात!!
तुम्हारा ठौर ठिकाना भी मालूम मुझको अब,
पर चाँद से अच्छी टिमटिमाती तारो की बारात!!
कभी बदली करवटे कभी जागे वही जज़्बात,
अधूरे से रहे हम मुकम्मल तेरे हर ख़यालात!!
कट गई या मय्यसर नही हम दोनों का साथ,
सागर सा दिल कर दिया समझा तूने ज़कात!!
जो मिली उल्फ़त सीने से लगा लिया था मैंने,
आज भी समझते हो जिसे तुम कोई ख़ैरात!!-
हुए शामिल तो मालूम हुई ये तन्हाई,
दर्द अपना होता रहा हुई प्रीत पराई!!-
न बदला किरदार मेरा ,
लोग वहम में रहने लगे!
ये भी एक तजुर्बा बढ़ा,
कैसे पराया कहने लगे !
अपनापन होता नही ,
होता समझ लेते हालात,
कुछ कहते हम उनसे,
समझते गर वो जज्बात!
अब और नही थका हूँ मैं,
वो दौर नही रुका हूँ मैं!
सब शून्य है कल्पना में,
जीवन सत्य की अल्पना में,
ये चादर अब मैली ही सही,
सुनेगी न मन माया की कही!
Anant Bijay✒️
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मैं कहाँ किसी से अब मिल पाता हूँ,
मैं सफ़र में हूँ कहीं भी ठहर जाता हूँ!!
परछाइयाँ संभाल कर रख यादों की,
मैं एक लम्हा हूँ पल में गुज़र जाता हूँ!!
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आईना ही था टूटकर भी आईना ही रहा,
हक़ीक़त तो ताउम्र मेरे साथ चलता ही रहा।
वो जो निगाहों में रहा निगेहबान की तरह,
हाथ न आया कभी हाथ मैं मलता ही रहा।-