Baleshwar Pradhan   (©P..Baleshwar...)
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Joined 25 November 2018


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Joined 25 November 2018
16 APR AT 21:22

तुम्हारा मिलना जैसे जीने का बहाना मिल गया,
बेघर भावनाओं को रहने का ठिकाना मिल गया..!

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5 FEB AT 18:45

किताबों में पन्नों के बीच रखे फूल फिर खिलेंगे।

ये ज़िंदगी तो मैंने इंतज़ार में गुजार दी,
शायद अगले जनम में फिर मिलेंगे...!

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15 JAN AT 21:06

प्रेम विरह के अलावा कोई भी दर्द
पुरुष के हृदय से आंखें तक ना आ सका..!!

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12 JAN AT 16:16

जिनके नाम पूरी बाग कर दी गई,
❤️
वो गुलदस्ते के लिए रूठे हुए हैं..!

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10 JAN AT 22:09

सूर्यास्त के पश्चात
सभी लौट आते हैं ,
अपने -अपने ठिकानों में,

कुछ मुस्कुराते हुए घरों में,
तो कुछ मायूस से मकानों में..!!

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9 JAN AT 20:31

खुद को बहुमूल्य समझने वाले लोग भी,
इश्क में ख़ुद को मुफ्त में नीलाम कर देते हैं..ll

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5 JAN AT 16:28

हर किसी की आहट से चौकन्ने हो जाते हैं,

राख में बदले लोग वापस नही आते,
ये बात हर बार भूल जाते हैं।

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3 JAN AT 19:18

तुम आना कोरे कागज पर लिखकर मेरा,
हम साथ मिलकर बनाएंगे उसे हमारा...!

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22 DEC 2024 AT 18:17

वह आज टूटा है,
और जो रह गई वह हर रोज टूटेगी...!

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20 DEC 2024 AT 22:35

फिर एक दिन दुनिया की भीड़ में ,
एक ऐसा शख़्स मिल जाता है l

जो पूरी दुनिया हो जाता है..!!

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