'अजिर' का अर्थ होता है 'आँगन'
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पानी की तलाश में श्रवण, पहुँचा सरयू तीर
शब्दभेदी बाण था वो दशरथ का उड़ता तीर
लगाअचूक निशाना, श्रवण का सीना चीर
मुख से चित्कार और देह से फूट पड़ा रुधिर
सुन चित्कार श्रवण की, दशरथ हुए अधीर
मात तात हैं प्यासे मेरे, पिला आओ उन्हें नीर
ये कह कर दशरथ की गोद में त्यागे उसने शरीर
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आखिर कौन थे ?
" सम्राट पृथ्वीराज चौहान "
आज की पिढी इनकी वीर गाथाओ के बारे मे..बहुत कम जानती है, तो आइए जानते है.. "सम्राट पृथ्वीराज" चौहान से जुडा इतिहास एवं रोचक तथ्य.....
(पुरा लेख कैप्शन में पढ़े)-
अंस समेत अजोध्या के आँगन आये अनादि अनन्त अजाने
कोसलराज के चार जगे पुरुसारथ जाहि में जीवन माने
तीनहुँ मात के चारहु जात सों गात जुड़ाने सो कौन बखाने
गंग समान भयो सरजू-जल चार दिसा लगिं सोहर गाने-
आज समय में शौर्य कथा
का पन्ना पन्ना खोला है
हर पन्ना हर अक्षर
केवल नाम एक ही बोला है,
अग्नि वंश के शिलालेख पर
अंकित जिस की गाथा है
लेकर जिसका नाम
आज सीना चौड़ा हो जाता है,
बेटा हिंदुस्तान का
सबसे ऊंचा नाम रहेगा
पृथ्वीराज चौहान आपका
नाम सदा अमर रहेगा..!!-
इस क़ायनात की एक ही रीत है
माँथे से पसीना और हाथों से लहू
छूटने वालों की ही जीत हैं ll-
कौसल्या के लाल की बड़ी निराली बात
विचरें अजिराई अहो खुशियन की बरसात
खुशियन की बरसात राम का रूप निराला
पाँईन पैजनियाँ गले मुतियन की माला
सागर सम हैं नैन रवि शोभा हैं भाल की
चर्चा है चहुँओर कौसल्या के लाल की-
तेरे इश्क के खातिर!
पहाड़ो के बीच ,
रास्ता बना दूँगा।
गोरी तु भरोसा रख!
मैं बिहारी हू ,
तुझे दिल में सजा लूँगा।।-
हे मर्यादा पुरुषोत्तम राम,
जरा ए भी तो बतलाता जा ।
जीसे तु माँ कहता था,
उस कैकेयी को भी समजाता जा ।।
(कविता अनुशीर्षक में)-