मैं नहीं चाहती कि
तराशा जाए पत्थरों को
तुम्हारी मेरी प्रेम कहानी से...
मैं चाहती हूँ कि
हमारा प्रेम कागज़ों पर लिखा जाए
और उसकी कहानी...
जल्द ही घुल जाए
इस धरती में खाद की तरह..
और फिर उनसे पल्लवित हों
प्रेम की फसलें.. फूल.. फल...
और ऐसे ही हमारा प्रेम
सदाबहार हो जाए!!!-
कभी जो सजदा अता करती हूँ
तेरी बढ़ती की दुआ करती हूँ
तिश्नगी होठों की मिटाने को
तेरी दहलीज़ छुआ करती हूँ-
I agree it is your right to ask questions....
But I also have a question..!!!
Who gave you this right 🤔🤔🤔-
शब्द शब्द संभालकर प्रयोग कीजिये
सोशल मीडिया के दौर में आप बस
पछता सकते हैं....
अपने डिज़िटल फुटप्रिंट नहीं मिटा सकते...
ज्ञान समाप्त.. 11 रुपये से कम चढ़ावा स्वीकार्य नहीं है।
🤭🤭🤭-
और एक दिन...
जब तुम्हें प्रेम होगा!!!
तब तुम असमर्थ होगे उसे
शब्दों में पिरो पाने में
क्योंकि
प्रेम ईश्वर है
और ईश्वर.... !!!!
ईश्वर वर्णनातीत.. !!!-
ईश्वर पर आज भी
कोई रॉकेट नहीं चढ़ाया जाता
न कोई न्यूक्लियर बम
न कोई मिसाइल
और न ही कोई लड़ाकू विमान
ईश्वर अपने हर स्वरूप में
सिर्फ़ प्रकृति प्रदत्त वस्तुएँ
जैसे जल,फल, फूल, नारियल
दूध, अन्न आदि स्वीकार करता है
ताकि हम इनका महत्त्व समझें
पर हम..
हम प्रकृति का नाश कर
कौन से ईश्वर को मना पाएँगे
समझ नहीं आता... !!!-