Divyanshu Kumar   (_the_fiction_20)
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Joined 7 June 2020


Joined 7 June 2020
6 MAR 2022 AT 21:52

एक छोटे से शहर में बड़ा सा सपना
ले कर घूमना कोई आम बात नहीं है.....

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4 MAR 2022 AT 23:01

दिन के उजाले में तो
बहुत लोग साथ खड़े हैं
मगर मुझे तो तुम्हारा साथ
रात के अंधेरे में चाहिए था

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11 FEB 2022 AT 16:50

नियत अगर साफ़ हो तो
नियती भी साथ होती है

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26 JAN 2022 AT 18:44

जब उड़ोगे तब जानोगे
कि जाने कब से हो तुम
ज़िदगी के पिंजरे में।

चलोगे तब पता चलेगा
कि पैरों में पड़ी हैं
जाने कितनी मजबूरियों की बेड़ी।

जगोगे तब समझोगे
कि अब तक जिसे समझे थे हक़ीक़त
सब सपना था या भ्रम।

पढ़ोगे तो महसूस करोगे
कि कितनी ही आवाज़ें
इतिहास के पन्नों में नहीं हुईं हैं दर्ज़।

उठाओगे सिर तब देखोगे कि
जितनी है धरती है दो कदमों तले
उससे कहीं आगे क्षितिज तक है उसका विस्तार।

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25 JAN 2022 AT 18:06

Divyanshu

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24 JAN 2022 AT 0:17

दे दी हमें आज़ादी,
दे के प्राणों का बलिदान...
आज़ादी के परवानों तुम्हे
देश का सलाम...

झूठे है जो कहते हैं
'ना खड़क चली
ना चली तलवार'....
जाने कितनों का था खून बहा..
कितनो ने छोड़ा था घरद्वार...

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22 JAN 2022 AT 9:54

How strong we are....









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21 JAN 2022 AT 15:48

It takes 3 seconds to say
"I Love You"
3 hours to explain and a life time to prove.


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20 JAN 2022 AT 9:53

मैंने कोरोना का रोना देखा है!
और उम्मीदों का खोना देखा है!!

लाचार मजदूरों को रोते देखा है!
गिरते पड़ते चलते और सोते देखा है!

पिता को सूनी आंखों से तड़पते देखा है!!
तो मां की गोद में बच्चे को मरते देखा है!

गरीबों का खुलेआम रोष देखा है!!
तो मध्यमवर्ग का मौन आक्रोश देखा है!

गरीबों को अस्पतालों में लुटते देखा है! !
तो निर्दोषों को बेवजह पिटते देखा है!

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9 JAN 2022 AT 12:37

दिन में कई बार उगता हूं
तो कई बार ढलता हूं
कभी Math तो कभी
Physics ले कर बैठता हूं,

Vaccine तो ले ली है हमनें
फिर भी न जानें क्यों
Lockdown में
घर पर बैठता हूं....

भटका मन सवाल करता है
"भीड़ में तो corona
अपना नाम कर रहा है,
फिर क्यों वो सिर्फ़
शिक्षा से खिलवाड़ कर रहा है...."

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