Aryaman Chetas Pandey   (चेतस)
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12 NOV 2019 AT 23:29

अरी, गङ्गा मैया! तनिक थमना और बहना
तुम्हारी आभा से नित निखरते भारतमना
कछारों को जाना निकल हिमशृङ्गादिकुल से
सुनाना घाटों को अकथ-कथ गाथा, विलसना

~ अर्यमन चेतस

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12 APR 2019 AT 13:08





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14 AUG 2017 AT 17:24

मथुरा के कारे फिरि जमुना के धारे
जिन्ह पूतना को तारे मद कालिय पछारे हैं
गिरिवर धारे जिन्ह कंसहू को मारे
रथ पारथ हँकारे महाभारत सँवारे हैं 
सोई रतनारे जसुमति के दुलारे
जुग नैनन के तारे सारे गोकुल के प्यारे हैं 
नन्दजू के द्वारे लखो भोरे-भिनुसारे
सब सुरन्ह पधारे नभ छाए जयकारे हैं

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13 AUG 2017 AT 17:52

इश्क़ करने के लिए अपने अन्दर एक ख़ास किस्म की ज़मीन चाहिए होती है जो इश्क़ हो जाने पर अपने लिए अपनी ही तरह का एक आसमान ख़ुद-ब-ख़ुद बना लेती है। फिर हम कुछ हल्के-हल्के से होकर ऊपर को उठने लगते हैं। एक-दूसरे को थामे हुए, बस... और फिर, हल्की बौछार से नम हुई मिट्टी से उठती हवा की सोंधी ख़ुशबू में तिरने का मज़ा...

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13 AUG 2017 AT 17:40

इश्क़ ज़रा नज़ाकत भरा हो तो ख़ूबसूरत होता है,
पुरकशिश...
दोस्ती में जितनी बेतकल्लुफ़ी हो, उतनी बेहतरीन होती है,
दिल में उतरी हुई...
रिश्ता, दोनों में मुकम्मल रहना होता है,
पाकीज़गी भरा..

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25 JUL 2017 AT 19:34

तुम्हारी राह तकते दिन कटे औ' रात जगती है
मेरी हर आह में बरबस तुम्हारी चाह पलती है
सफ़र कितना ही लम्बा हो, किसी भी रास्ते से हो
तुम्हारी इब्तिदा मेरा फ़क़त अंजाम बनती है

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21 JUL 2017 AT 17:56

आज फिर तुमपे कुछ लिखा मैंने, आज फिर ख़ुद से कुछ छिपाया है
आज फिर कलम तोड़ कर फेंकी, आज हाथों को फिर सुखाया है

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21 JUL 2017 AT 17:37

उसकी आँखें मेरा आकाश हैं...उसके गेसू घटाओं की मानिंद...मैं बरसात नहीं चाहता...मगर नभ में तिरते बादलों को देख मुझे इश्क़ हो जाता है...कभी मैं उन भीनी हवाओं की तरह होना चाहता हूँ जो उन्हें अपनी दिशा में बहा ले जा सकती हैं...लेकिन मुझे उस अधिकार की तरह भी होना है जो बिना किसी रूपक का सहारा लिए सीधे कह सके, "रहने दो न, तुम ऐसे ज़्यादा ख़ूबसूरत लगती हो.." ☺️

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9 JUL 2017 AT 16:55

तुम्हें मैं देखता हूँ, तुम मुझे देखो न चोरी से
कि हम दोनों बँधे हैं एक अनजानी सी डोरी से
हमारे प्यार की सबको मिसालें आज देता है
कहानी कह रहा है देख लो चन्दा चकोरी से

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25 MAY 2017 AT 15:10

आसमान...
उनमें से किसी के लिए हीरों जड़ी चादर
किसी के लिए चाँद-तारों से सजा औंधा थाल
किसी के लिए हल्की नीली रेशमी ओढनी की मानिन्द
कभी रोशनी की जगह
तो कभी बरसात से भरे बादलों का घर
कभी 'ऊपर वाले' की आरामदेह रिहाइशगाह...

वही आसमान...
मेरे लिए तुम्हें देखने, तुमसे बतिया लेने का ज़रिया
तुम्हें महसूस करने का सबसे आसान तरीका
कभी अकेले न होने का अहसास...
सपनों से बाहर की दुनिया में भी
खुली आँखों से दिखने वाली
खूबसूरती और सच्चाई की असल दुनिया..
और भी न जाने क्या-क्या..
सब तुमसे जुड़ा..

वैसे भी तुमसे ही तो जुड़ा होना था न ...
आसमान इतना बड़ा जो होता है..!!

कुछ न छिपाता हुआ भी अनजान है आसमान...
सब कुछ बताती हुई भी, तुम भी तो हो अनजान...

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