लगा के "आग" शहर को,"बादशाह" ने कहा, उठा है आज दिल में "तमाशे" का शौक बहुत, झुका के सर सभी "शाह-पस्त" बोल उठे, "हुजूर" का शौक "सलामत" रहे, "शहर" तो और भी बहुत हैं..!!!!
कितना भी दर्द छुपा हो सीने में फिर भी मुस्कुराते रहिए, अगर गिरा एक भी आसूँ आपका, तो तमाशा हो जायेगा। गले लगाकर आसूँ पोंछने वालें सिर्फ चंद लोग मिलेंगे... मगर बेवजह, वजह जानने वालों का ताँता लग जाएगा।।