Rakesh Raj Bhatia   (राकेश राज (R.Bhatia))
1.4k Followers · 47 Following

Joined 30 June 2017


Joined 30 June 2017
27 AUG 2023 AT 20:28

दिल की खता का ज़रा हर्ज़ाना भर लूँ।
इश्क़ के जुर्म का थोड़ा जुर्माना भर लूँ।

फ़कीर हो गया हूँ मैं दौलत की ख़ातिर,
चाहत की दौलत से यूँ खज़ाना भर लूँ।

छलक रही है शबनम उनकी आँखों से,
मैं भी जरा इस दिल का पैमाना भर लूँ।

-


4 AUG 2023 AT 21:27

इस आव ए हयात ए इश्क़ में हम तो ताहिर न होने दिये।
उस एक बुत की ही बुतपरस्ती ने यूँ काफिर न होने दिये।

लबों पर हम हंसी तो ले आये पर आँखे नम रह ही गई,
हम गुम को छुपा लेने में इतने भी तो माहिर न होने दिये।

गवाही देने निकला था मेरे सच्चे इश्क़ की जो मेरे हक़ में,
वो गवाह उसने दिल की अदालत में हाजिर न होने दिये।

उसने अपने हरेक एहसास को दिल में कुछ यूँ दवा लिया,
मेरे इश्क़ की 'आहटों के राज़' कभी जाहिर न होने दिये।

-


30 JUL 2023 AT 22:58

मेहनत की स्याही से लिखा,
हर अक्षर सुनहरा होता है।
अनमोल है पसीने का कतरा,
जो माथे पर ठहरा होता है।
तलवारों से रण जीतने का,
वो दौर कब का बीत चुका है,
अब'शब्दों के प्रहार'का असर,
खंजर से भी गहरा होता है।
बन जाते हैं राज़ वो एहसास,
जिन पर ज्यादा पहरा होता हैं।

-


26 JUL 2023 AT 14:10

खाक में इस देह को कब का मैंने मिला दिया होता।
तेरे गम ने अगर यूँ जीने का न होसला दिया होता।

जमाना यूँ तो न हँसता मेरे इन सपनों की मौत पर,
वक्त रहते अगर इनकी लाशों को दफना दिया होता।

बार-बार न यूँ माँगा करो कसम तुम्हें भूल जाने की,
'भुलाना आसान होता तो' कब का भुला दिया होता।

हर हाल में अगर तुम्हें यूँ पाना ही मेरा मकसद होता,
तुम तक पहुँचने वाला झूठ का पुल बना दिया होता।

अगर रखना न होता तेरी जफ़ा को यूँ राज़ की तरह,
तो मैंने भी इश्क़ को एक नुमाइश बना दिया होता।

-


22 JUL 2023 AT 11:13

यकीं हो चुका है इन्हें अब अपने परों की ताक़त पर।
अब न चल सकेंगे ये परिंदे, यूँ गैरों की नसीहत पर।


बचपन कूद चुका है लगाकर छलांग नीड़ से बाहर,
चढ़ती उम्र असर हो गया है अब इनकी तबीयत पर।


अपाहिज़ ही न बना दें कहीं अब ये गैरजरूरी बंदिशें,
अब पहरे लगाना ठीक नहीं है यूँ मन की हसरत पर।


'उड़ने दो इश्क़ के परिंदों को'अम्बर की ऊँचाइयों तक,
इनका भी तो पूरा हक़ है इन चाहतों की बसीहत पर।


'राज़'इनको भी तो पता चले चाहत की पाकीज़गी का,
यकीं इनको भी जरा होने दो यूँ इश्क़ की ईबादत पर।

-


21 JUL 2023 AT 14:55

ये प्यारा सा दिल मेरा उसके लिये यूँ बेकरार होता गया।
मैंने जितना उसे नाजरंदाज़ किया और प्यार होता गया।

कुछ बेरुखी आज तेरी और कुछ सितम इस जमाने के,
दर्द सहने को दिल ये मेरा रफ़्ता रफ़्ता तैयार होता गया।

कसम तो खाई थी मैंने भी ज़िन्दगी में कभी न पीने की,
वो नजर यूँ ही मिलाता गया, मुझ पर खुमार होता गया।

भूल ही जाऊंगा उसे हर वक़्त मैं तो इस ख़याल में था,
जो थोड़ा प्यार था उसके लिए वो यूँ बेसुमार होता गया।

मेरी गज़लों को पढ़ता रहा और दिल के राज़ जान गया,
जिससे छुपाया राज़ मैंने वो ही मेरा राज़दार होता गया।

-


20 JUL 2023 AT 18:36

महफ़िल में लोग यूँ ही उलझे रहे, तेरे लिबास में।
हमने देख ली पाकीज़गी तेरे आँखों के अंदाज़ में।

-


20 JUL 2023 AT 13:57

दिल के सीसे में किसी गैर की यूँ जगह नहीं होती।
इश्क़ होता नहीं जब तक रब्ब की रज़ा नहीं होती।

इस जमाने में कोई भी रिश्ता यूँ बेवजह नही होता,
सच्ची चाहत की मगर, कोई भी वजह नहीं होती।

वक़्त की गुल्लक से'चुरा लो हसीन लम्हों' को तुम,
यह वो चोरी है, जिसकी कोई भी सजा नहीं होती।

दर्द का हदसे आगे गुजर जाना ही इलाज होता है,
इश्क़ में मिले हुए ज़ख्मों की, और दवा नहीं होती।

'राज़'खुलता न अगर तेरी बेवफाई का महफ़िल में,
हमारी ये मासूम चाहत इस क़दर रुसवा नहीं होती।

-


19 JUL 2023 AT 21:48

इन अदाओं को तेरी देखकर, कितने ही फ़िदा हुए।
एक हम ही थे ऐसे जो तेरी सादगी पर फनाह हुए।

-


19 JUL 2023 AT 14:39

तेरी दो मीठी बातों की कुछ तो सिफारिश ही ऐसी है।
मुस्करा देता तुझको देखकर मेरी फितरत ही ऐसी है।

उसने माँग ली यह जान और मैं मना भी न कर पाया,
उसके दो खूबसूरत होंठो की ये गुजारिश ही ऐसी है।

मैं बच सकता था पर हसरत हो गई फनाह होने की,
मेरे इन दोस्तों की लाजवाब यह साजिश ही ऐसी है।

पसंद था हमको भी सावन मगर है इस बार से तौबा,
तबाही हो रही हर तरफ इस बार बारिश ही ऐसी है।

पत्थर था मैं लेकिन पिघलकर पानी सा बह निकला,
उसके इस इश्क़ की ठंडी आग की तपिश ही ऐसी है।

उगल डाला मैंने सामने तुम्हारे हर 'राज़' इस दिल का,
मैं करूँ क्या इन 'तेरी आँखों की कशिश' ही ऐसी है।

-


Fetching Rakesh Raj Bhatia Quotes