छुटपुट ठहाके कर ले मेरे लिये रोशनदान ही सही
वो चाँद मेरा ना सही आसमान का बागवान ही सही-
ग़म ही तो है,
जीने का एक रंग ही तो है,
इसे भी माथे पर 'सज़ा' लो,
इसे भी प्यार करने की 'सजा' दो,
ना डर ना 'शिकन' का आलम होगा,
जब 'ख़ुद' ग़म ही तुम्हारा 'बालम' होगा,
तुम्हारा ग़म ही तुम्हारे साथ आँसू बहायेगा,
ख़ुद को रोता देख वो भी 'ठहाके' लगायेगा,
पछतायेगा अपनी ही 'तासीर' पर,
चल ना पायेगा माथे की 'लक़ीर' पर,
ख़ुद-ब-ख़ुद उठकर चला जायेगा,
जो रूठ गयी है तुमसे ख़ुशी...
उसे हाथ पकड़ फ़िर ले आयेगा।
जो ग़म को यूँ अपना लोगे
फ़िर कहाँ तुम तन्हा रहोगे
ग़म ही तो है...
जीने का एक रंग ही तो है....
- साकेत गर्ग-
बात हो ठहाकों की, मुस्कुरा के काम चले
दौर जाने कैसा आया,हँसना भी अब शोर लगे
हर तरफ़ है दर्द-ओ-ग़म , फैल रहे इतने रोग
हँसी ही इलाज था, पर, हँसना भूल गए हैं लोग-
लोग बहुत खुश थे
कि आज फिर एक मोहब्बत पर ठहाके लगायेंगें
जब उन्हें नही मिली उनकी मोहब्बत
तो किसी और को कैसे मिले ...-
हर कोई सुनता है मेरी हंसी के ठहाके,
ग़म की खामोशी सुनने वाला यहाँ कोई नहीं।-
हवा की सरसराहट कुछ गुनगुना रही हैं,
कुछ चिड़ियों की चहचहाट कुछ गाडियों की आवाज़
कुछ लोगों के ठहाके कुछ आसमानी मन हमारी हंसी ले रहा और,
हम अभी भी खोए हुए हैं कहीं दूर किसी जाने आनजाने से दौर में.....
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मन रूपी तेज घोड़े पर सवार हो हर दोस्तों से मिल आने को जी चाहता है।
यदि किसी को भूले से भी कर्म के फर्ज के अदायगी में भूलें हो उन से बात कर यादों में खो जाने को जी चाहता है।
उन सबको दो दिन पहले ही मित्रता दिवस पर निमंत्रण भेज आने को याद दिलाने को जी चाहता है।
मेरे हर दोस्त को दोस्ती की कसम आ न सको न सही अब मन से ही मित्र मंडली के साथ सब सुख दुःख भुला ठहाके लगा कुछ समय बिताने को जी चाहता है।
💐सभी को मित्रता दिवस के अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं। 💐
रजनी अजित सिंह 3.8.18-
चलो आज ठहाकों की नाव बनाते हैं,,
उसे मस्ती की झील पर उतारते हैं...
कुछ खट्टे, कुछ मीठे चुटकुले
सूरज को सुनाते हैं,,
गुदगुदाते हुए पानी के वेग से,
हम फूलों संग मुस्काते हैं...
कभी पेड़, कभी पत्ते,
कभी हरियाली बताते हैं...
हम खेलते बच्चों की
मुस्कान की वजह बारिश बताते हैं...
थकती नहीं यह नाव हमारी,,
हम इसपर सवार हो,,
बादलों को टटोल आते हैं...
रूठ जाए ग़र साथी कोई,
तो उसे चाँद-तारे दिखा लाते हैं...
परियों के देश की हम
मुफ़्त में सैर कर आते हैं...
चलो आज ठहाकों की नाव बनाते हैं,,
उसे मस्ती की झील पर उतारते हैं...
कुछ रूठे हुए दोस्तों को
गुदगुदा कर आते हैं...
बिगड़ी हुई बात आज सारी,,
बना कर आते हैं....
ढूँढे जब कोई ग़म अगर तो,,
लुका-छिपी का खेल खिलाते हैं...
चलो आज ठहाकों की नाव बनाते हैं,,
उसे मस्ती की झील पर उतारते हैं...
©विक्की...📝-
Latest Quote देखने वालों;
कब तक दर्द-भरी कवितायें पढोगे..!!
आओ Funny singh के साथ
थोड़े ठहाके लगाते हैं।
😝 😝collaboration😝😝-