चलो आज तुम्हारे दिल के जज्बात बदलते है,
नहीं बदले हो अगर, तो चलो तुमको बदलते हैं!
तय है मेरे कुछ पैमाने तुमसे, मेरी ख़्वाहिशों के,
है एतराज़ पैमाने पे तो चलो जुस्तजू बदलते हैं!
नजरों से बावस्ता हो तुम और आंखों से रूबरू,
हो हिचक आंखों से तो चलो नज़रिया बदलते हैं!
तीरगी में छिपी हो तुम, मेरी रौशनी से घबराकर,
मिले तसल्ली तुमको, तो चलो चराग़ बदलते हैं!
मंज़िल है अब भी वहीं पे, रास्ते बेशक वही ही हैं,
अगर लगती दूर मंज़िल तो चलो रास्ते बदलते हैं!
वक़्त भले तब्दील हुआ पर उसूल इश्क के है वही,
है दिक्कत तब्दीली से तो चलो ज़माना बदलते है!
झिझक उम्र के इस मोड़ पर की लोग क्या कहेंगे, _राज सोनी
दे मिसाल मोहब्बत की "राज" चलो सोच बदलते है!-
मनचली मोहब्बत कौन याद रखता है
ठहराव हो जिस इश्क़ में, वो भुलाया नहीं जाता...-
प्रेम और ठहराव की खोज का मेरा सफ़र
दरिया पार उस किनारे पर खत्म हुआ
लेकिन दुर्भाग्य रहा कि
तीव्र संकीर्ण धाराओं के बहाव ने
प्रतिबंधित कर दिया मेरे कदमों को
अब संभवतः सदियों बाद कभी
शुद्ध और निर्मल होंगी ये धाराएं
तब तक निरंतर देखूंगी
कतरा-कतरा बदलाव को और
दूर ही से निहारती रहुंगी
इस छोर से....
उस छोर को....-
झरने का जल जिस प्रकार कई कठिन रास्तों का सफर तय कर अपनी मंजिल पर शांत ठहर जाता है,
ठीक उसी प्रकार उन निरंतर चट्टानों से भिड़ती, रोड़ों से उलझती जिंदगी के समस्त कठिन डगर को पार करके स्वत: तेरे ही आलिंगन में थम जाना चाहती हूॅं मैं!
मानो तो उस झील की भांति ही जो ठहर जाता है एक झरने से निर्झर कल-कल बह कर,
ठीक इसी तरह मैं रुक जाना चाहती किसी एक क्षण में,
तुम्हारे संग, तुम्हारे आज और तुम्हारे आने वाले कल में,
जहाॅं सिर्फ सुकुन ही सुकुन हो,
एक राहत सी हो इस बात की, कि अब तुम इस अनवरत सफर में मेरे संग हो!
मेरे धूप-छांव भरी जिंदगी के तुम गवाही हो,
जो मुझे सहेजें रखोगे ठीक उस शांत निर्मल जल की भांति अपनी हीं प्रकृति में,
जिसके होने मात्र से ही जिंदगी के सभी गिले-शिकवों को माफ कर दूॅं मैं,
बस याद रखूॅं तो उन हजार नेमतों को जो मुझे मिली है तुमसे मिलकर!
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सूरज के बाद चाँद, चाँद के बाद सूरज
गोल घूमती धरती पर ठहरने के भरम में हूँ!-
कुछ ठहराव ज़रूरी हैं ज़िन्दगी में
उनकी चुपी से गुफ्तगू अब बेहतर होगी।-
गुजरते वक़्त की निशानी अभी भी मेरे पास रखी है,
छलकते आँसू ठहराव की रवानी नहीं लेते, यादों का
दरिया और गहरा होता जा रहा है, मौसम-ए-गुल तो अपनी अदाएं बदल रहा है मेरी साॅंस का दरमियान सुधर रहा है।-
ना ठहराव ना रफ़्तार है मोहब्बत
ना इज़हार ना इन्कार है मोहब्बत
हो जाये जो बस यूँ ही, हाँ 'यूँ ही'
बस वही हसीन ख़ता है मोहब्बत
- साकेत गर्ग-
टूटते-बनते-बदलते रिश्तों की बात कैसे करूँ
ठहराव का आदी हूँ, बदलाव की बात कैसे करूँ
- साकेत गर्ग-