Varsha Tiwary   (वर्षा)
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An Old Soul With Young Eyes And Vintage Heart☺
Joined 19 April 2020


An Old Soul With Young Eyes And Vintage Heart☺
Joined 19 April 2020
27 MAY 2023 AT 0:56

कि,
इक उम्र लग जाती हैं,
जज्बातों को समझने में...
और,
जो समझ के भी न समझें उन जज्बातों को...
कि,
इक उम्र भी कम पड़ जाती है,
उनको दोहराने में।

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24 MAR 2023 AT 14:46

तेरे पास तेरी एक पूरी दुनिया थी,
मेरे पास सिर्फ तुम...
काश,
तुम यह समझ पाते,
तो,
आज हम यूं ना होते।

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23 MAR 2023 AT 21:26

एक किस्सा जो पीछे छूट गया था,
वो दिल के करीब था कुछ,
जिसका टूटना कई रहमतों को अपने साथ ले गया,
फिर,
साथ रह गए हैं तो कुछ खाली घरोदें दरारों के।

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10 OCT 2022 AT 1:02

इक आखिरी अलविदा कहना भी जरूरी है,
किस्सों को खाक में समेटने के लिए,
की उनका यूं खुले रह जाना भी,
कसक की वजह दे जाते है!

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10 SEP 2022 AT 20:44

हम सब की अपनी-अपनी यात्राएं होती हैं,
अंतर्मन की यात्रा!
हम जानते है की हमें दूर तक संघर्ष किए जाना हैं,
उलझनें, निराशा, नाकामियों को छोड़ अंतर्मन की यात्रा पर चलते जाना है,
ठहराव भी जरूरी है,
निरंतर मन का जो पहिया चलते रहता है, इनका रुक जाना भी जरूरी है कभी,
थम जाना ऐसे की किसी वृक्ष के आखिरी पत्ते झर जाते हो इनके तन से,
पर इनका झड़ना अंत नहीं,
यह तो एक चक्र है,
जहां से फिर शुरू होती है एक नई यात्रा,
ठीक उसी वृक्ष के जैसे जिसने कभी अपने आखिरी पत्ते को भी खुद से दूर होते देखा हो,
पर एक आस ही उसकी उस चक्र को फिर से शुरू करती है,
उस यात्रा को जिसमें उसमें पुनः नए जीवन की, नए रंगों की शुरुआत होती,
जीवन यात्रा भी तो कुछ इस तरह ही है, हैं ना!!
मानो तो हां,
दुख, अलगाव, एकांती का चक्र भी इक बिंदु पर जाकर रुकता है,
और
फिर वहीं से शुरू होने लगती है,
सुख, मिलाप, उम्मीदों को रेखा.....

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10 JUL 2022 AT 23:11

इबादत, इंतजार, इंतेहा
वक्त, वजूद, वहम
रस्में, रास्तें, रूख्सतें
रिश्तें अक्सर इनसे हीं होकर गुजर जाते हैं,
जी जाते हैं,
जीये जाते हैं।

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9 JUN 2022 AT 13:50

सिगरेट के कस लिए जीवन को जी रहा हूं,
पल पल हर क्षण धुएं को होठों से पी रहा हूं,
लम्हों में जिंदगी को बूंद बूंद रिसते महसूस कर रहा हूं,
गमों को हर एक कस में भींगो रहा हूं....
जाने क्यों अंतिम तक प्रतीक्षा कर रहा हूं,
कि अपने ही तन मन को खुद से धुआं धुआं उड़ते यूंही देख रहा हूं,
कुछ इस कदर सिगरेट के कसों को फूकतें जीवन जी रहा हूं,
क्या जाने जी रहा हूं, घुट रहा हूं, उठ रहा हूं या मर रहा हूं,
हां इन्हीं कशमकश में कितने ही कसों को लबों से पी रहा हूं।

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3 JUN 2022 AT 15:07

सुनो
मैं एक वक्त निकाल कर आऊंगी,
तुम भी फुर्सत के दो पल लेकर आना।
गिलें-शिकवें भूल,
पिछले सारे जख्मों को भूल,
तमाम बीती हसरतों को भूल,
होंगी तो सिर्फ कुछ अच्छी बातें...
न कोई शिकायत,
न कोई मलाल,
न कोई रंज,
बस होंगी तो कुछ अच्छी यादें ,
कुछ अच्छी आदतें,
कुछ अच्छी उम्मीदें...
सुनो...
मैं एक वक्त निकाल कर आऊंगी,
तुम भी फुर्सत की कुछ घड़ियां दे जाना।

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16 MAY 2022 AT 1:59

पुराने दराजों से,
कुछ पुरानी किताबें मिली,
धुनी धुनी सी मिट्टी लिपटी,
कुछ जर्द पन्ने बिखरें भी थे...
उन सब के बीच कुछ दूर झांकता दिखाई पड़ा,
उस ओर नजरें गई तो देखा कि,
कुछ सूखे पत्तों के बीच गुलाबों का एक गुच्छा छिपा हैं,
...वो गुच्छा मानो यादों का गुच्छा बनकर उभरा हो मन में,
और एक हीं पल में कई यादें सामने आती गई,
कुछ लम्हें जो कहीं दब गए थे,
कुछ एहसास जो कहीं रह गए थे,
कुछ गम जो कहीं छिप गए थे,
वह सब मानो एक क्षण में उभरते देखा हो मैंने,
उन दराजों को,
एक उमर से बंद रखा था जो मैंने,
कि नजरें उनमें रखें सूखे फूलों,
हां ठीक है... वहीं कुछ भूली यादों पर ना पड़ें,
पर अब जो यूं वो दराजें इत्तेफाकन खुली तो,
भारी जी से बंद करने का साहस,
शायद अथाह साहस,
इकट्ठा करना नामुमकिन सा हो रहा है,
हां वो यादों की पुरानी दराजें....
बंद पड़ी।

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24 APR 2022 AT 12:02

कमजोर रिश्ते उन पुराने धागों के तरह होते हैं,
जिन्हें एक हीं कोशिश तोड़ देती है,
महज,
वो कोशिश 'जोर' की नहीं,
बल्कि,
वो कोशिशें होती है हल्की सी नादानियों की,
कुटिल मुस्कान भरी नजरों की,
या,
बातों में छिपे छल की!!

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