Varsha Tiwary   (वर्षा)
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An Old Soul With Young Eyes And Vintage Heart☺
Joined 19 April 2020


An Old Soul With Young Eyes And Vintage Heart☺
Joined 19 April 2020
2 MAR AT 2:20

सच क्या झूठ क्या...
इसी भ्रम में यूंही उलझे रहते हैं...
खोजने जो निकलो इन दोनों के अर्थ तो ये शब्द भी एक से लगते है...
कहते है कि सब के अपने सच और अपने झूठ होते...
किसी का सच किसी का झूठ हो जाता...
कुछ गलत कुछ कभी कहीं सही हो जाता...
इन अर्थों को समझने की कोशिश में ये इंसा भी यूंही धागों की गठरी सा बंधता चला जाता...
गवां के खुद का ही चैन...
खुद की नींद को कही छोड़ आता...
सच झूठ के अर्थों को जो कभी समझने निकलो तो पता नहीं कब इनके अर्थों में ही वो खुद ही समा जाता...
सच-झूठ... अंत में यह दोनों एक ही तो है।

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19 OCT 2024 AT 4:43

दिखावें की इस दुनिया में, मन के पीर छुपाए बैठी हूं, होठों पे मुस्कुराहट के नगमे सजाए बैठी हूं, भीतर किसके कितने द्वंद इसकी खबर न लेनी चाही किसी ने, इस झूठे जग से झूठी आश लगाए बैठी हूं... रिश्ते मोह वादें धागे.. सब खोखली दीवारें मात्र है, जिसके साये में खुद को दबाए बैठी हूं... सच क्या झूठ क्या... मानो तो सब मृगतृष्णा है, एक बूंद नीर की चाहत में जाने कितनी मिलें भागे फिरती बैठी हूं... झूठे मोह के धागे से खुद को जाने क्यूं मैं बांधे बैठी हूं... जर्जर रिश्तें इस जग में, बिखरें आश लगाए बैठी हूं... तील तील में सदियों के वक्त बितायें बैठी हूं... पर कभी यूं जो मन करे कि किसी और उड़ जाऊं मैं, पर रूह को अपने पिंजरे में मैं झुलसाए बैठी हूं... झूठे रिश्ते मोह के बंधन में मैं खुद को झुलसाए बैठी हूं!

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9 MAY 2024 AT 0:10

कि हमने इक भरसक कोशिश की तुम हमें मिल जाओ...
पर यह ना सोच पाए कि हसरतें कुछ यूंही होती है अधूरी रह जाने के लिए।

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27 MAY 2023 AT 0:56

कि,
इक उम्र लग जाती हैं,
जज्बातों को समझने में...
और,
जो समझ के भी न समझें उन जज्बातों को...
कि,
इक उम्र भी कम पड़ जाती है,
उनको दोहराने में।

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24 MAR 2023 AT 14:46

तेरे पास तेरी एक पूरी दुनिया थी,
मेरे पास सिर्फ तुम...
काश,
तुम यह समझ पाते,
तो,
आज हम यूं ना होते।

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23 MAR 2023 AT 21:26

एक किस्सा जो पीछे छूट गया था,
वो दिल के करीब था कुछ,
जिसका टूटना कई रहमतों को अपने साथ ले गया,
फिर,
साथ रह गए हैं तो कुछ खाली घरोदें दरारों के।

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10 OCT 2022 AT 1:02

इक आखिरी अलविदा कहना भी जरूरी है,
किस्सों को खाक में समेटने के लिए,
की उनका यूं खुले रह जाना भी,
कसक की वजह दे जाते है!

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10 SEP 2022 AT 20:44

हम सब की अपनी-अपनी यात्राएं होती हैं,
अंतर्मन की यात्रा!
हम जानते है की हमें दूर तक संघर्ष किए जाना हैं,
उलझनें, निराशा, नाकामियों को छोड़ अंतर्मन की यात्रा पर चलते जाना है,
ठहराव भी जरूरी है,
निरंतर मन का जो पहिया चलते रहता है, इनका रुक जाना भी जरूरी है कभी,
थम जाना ऐसे की किसी वृक्ष के आखिरी पत्ते झर जाते हो इनके तन से,
पर इनका झड़ना अंत नहीं,
यह तो एक चक्र है,
जहां से फिर शुरू होती है एक नई यात्रा,
ठीक उसी वृक्ष के जैसे जिसने कभी अपने आखिरी पत्ते को भी खुद से दूर होते देखा हो,
पर एक आस ही उसकी उस चक्र को फिर से शुरू करती है,
उस यात्रा को जिसमें उसमें पुनः नए जीवन की, नए रंगों की शुरुआत होती,
जीवन यात्रा भी तो कुछ इस तरह ही है, हैं ना!!
मानो तो हां,
दुख, अलगाव, एकांती का चक्र भी इक बिंदु पर जाकर रुकता है,
और
फिर वहीं से शुरू होने लगती है,
सुख, मिलाप, उम्मीदों को रेखा.....

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10 JUL 2022 AT 23:11

इबादत, इंतजार, इंतेहा
वक्त, वजूद, वहम
रस्में, रास्तें, रूख्सतें
रिश्तें अक्सर इनसे हीं होकर गुजर जाते हैं,
जी जाते हैं,
जीये जाते हैं।

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9 JUN 2022 AT 13:50

सिगरेट के कस लिए जीवन को जी रहा हूं,
पल पल हर क्षण धुएं को होठों से पी रहा हूं,
लम्हों में जिंदगी को बूंद बूंद रिसते महसूस कर रहा हूं,
गमों को हर एक कस में भींगो रहा हूं....
जाने क्यों अंतिम तक प्रतीक्षा कर रहा हूं,
कि अपने ही तन मन को खुद से धुआं धुआं उड़ते यूंही देख रहा हूं,
कुछ इस कदर सिगरेट के कसों को फूकतें जीवन जी रहा हूं,
क्या जाने जी रहा हूं, घुट रहा हूं, उठ रहा हूं या मर रहा हूं,
हां इन्हीं कशमकश में कितने ही कसों को लबों से पी रहा हूं।

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