नादानियां नहीं झलकेंगी चाहतों में मेरे
मुझे इश्क़ तो हुआ है मगर सम्हला सा-
दहकते अंगारो से प्रीत निभाया करता हूँ,
ख़्वाब जलाकर मैं रोज़ उजाला करता हूँ!
एक झलक की ख़्वाहिश लेकर मुद्दत से,
मैं बादल में रोज चाँद निहारा करता हूँ!
एक लहर आती है बह जाता है सबकुछ,
रेत पर जब जब महल बनाया करता हूँ!
असआर मेरे आबाद हुए, एहसान है तेरा,
मैं ग़ज़लों में तेरा अक्स उतारा करता हूँ!
मेरी बेदाग उल्फ़त पर हँसते हैं लोग यहां,
क्योंकि आसमाँ सी हसरत पाला करता हूँ!
अक्सर सरे आम नंगे हो जाते हैं पाँव मेरे,
जब जब चादर से पांव निकाला करता हूँ!
मत पूछ "राज" से यूँ मोहब्बत की बातें
याद में तेरी मैं ऐसे वक्त गुजारा करता हूँ! _राज सोनी-
बेताबी मुझे ही नहीं थी
बेताबी उसे भी था
पाने को एक झलक
हम चले आते थे
मैं मुड़-मुड़ कर देखती
ओ छुप छुप कर देखता
कितनी पंक्तियां गुनगुनाये
उनके ख्यालों में मैंने
कितने पहर बिताएँ
उनके यादों में-
बीज से निकला अंकुर का ये पत्रक है, इसका वृक्ष में तब्दील होना अभी बाकी है।
कलाकार की क़लम की ये छोटी सी झलक है, इसे और भी तराशना अभी बाकी है।।-
माना कि कोई गुलाब की कली हो तुम
मग़र इतना संवर कर कहाँ चली हो तुम
ये जो इतनी खूबसूरत नजर आती हो
यकीनन बहुत ही नाजो से पली हो तुम
आदतें यूँ ही खराब नहीं फिजाओं की
मैंने सुना है थोड़ी सी मनचली हो तुम
शिकायत तो जिंदगी के साथ चलती है
तुमको पढ़कर लगा बहुत भली हो तुम
खिड़की पर नहीं और गुलाब फेंक आये
आशिकों की वो पसंदीदा गली हो तुम
कितनी तारीफों को अंजाम दे कपिल
कविता का अर्थ है कि खलबली हो तुम-
क़ुर्बतों में भी फासलों की झलक देखी है,
देखा है मुस्कुराती पलकों को टूटते अक्सर !-
कोई चाहता है जमीं कोई चाहता है फलक मिले
मेरी दिली तमन्ना है बस यार की एक झलक मिले-
औरों को तो कैसे होगी,
एक दूसरे की झलक चुराने की खबर,
हमारी निगाहों को भी नहीं होती।-
साँझ भी मुन्तजिर है, तेरी झलक पाने को
ऐ चाँद जल्दी आजा, साथ रोटी खाने को-
तरसती नजरों को तेरी झलक मिले
मेरी आंखों को खुशी की चमक मिले
तेरी रूह की दिलकशी खुशबूओं से
मेरी रूह को जानाँ तेरी महक मिले
बिंदिया को चमक पायल को छनक
मेरी चूड़ी को तेरे नाम की खनक मिले
ना मिले मोहब्बत तो भी ख़ुशनसीबी
गर मेरे हक़ में तेरी सारी कसक मिले
ना तो जमीं ना चाहती हूँ फलक मिले
मेरी दिली तमन्ना यार की झलक मिले-