"घूंघट ओढ़ लेती है शिकन-ए-हुस्न मेरी,,
तेरा ख्याल जैसे ससुर का आगमन हो!!"-
जैसे जैसे दिन गुजरते जा रहे हैं
वैसे वैसे कुछ लोग
मेरे दिल से उतरते जा रहे हैं-
मुद्दतों बाद
आज उनसे मिलकर
इतनी खुशी मिल गई है..
जैसे....
कोरोना के मरीज को
वैक्सीन मिल गई है...!-
दुआओं का कोई रूप नही होता,
उसका कोई स्वरूप नही होता,
उठा जो हाथ आशिष देने को आपको,
उस हाथ से सच्चा कोई हाथ नहीं होता!!-
लगातार बदलती हुई इस "दुनिया" में,
आप जैसे हैं, वैसे बने रहना ही
सबसे "बड़ी उपलब्धि" है..!!!!
:--स्तुति-
बोलता हो chitra(pic) हो
संभव नहीं है....
कवि हो सचरिtra हों
संभव नही है....|
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कुछ मत कहो, ना कहने दो
ये प्यार लफ्ज़ अधूरा ही अच्छा है
इसे अधूरा ही रहने दो.....!-
जैसे
पियराता है सरसों
छिटक कर...
पकता है गेहूँ का खेत
फूटकर...
जैसे
लुढ़कते हुए उतरता है— सूरज
कपास के खेतों में...
वैसे ही
उतरता है बसंत— मुझमें
उदास प्रकृति
मुझमें—
बिल्कुल अच्छी नहीं लगती..
कविता
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