भर गए हो तुम मुझमें इतना कि
ख़ुद को रखने की जगह नहीं है-
बज़्म-ए-ख़याल
(इक कोशिश)
3.9k Followers · 9.9k Following
जुस्तज़ू जारी रखिए हमारे किरदार की,,
अश्क़ बनकर सुकूँ और गम में मिलते रहेंगे!!
..
..
कई अरसे ब... read more
अश्क़ बनकर सुकूँ और गम में मिलते रहेंगे!!
..
..
कई अरसे ब... read more
Joined 6 March 2021
20 AUG 2022 AT 17:16
आपके होठों की लाली गर आ जाए मेरे गालों पर
फिर मुॅंह क्या धोना मोहतरमा,दाग बहुत अच्छे हैं-
24 JUL 2022 AT 11:07
...गम अपने गम को दूर करने की खातिर
अब अक्सर ही आ जाता है पास मेरे-
25 JUN 2022 AT 14:09
ज़ंजीर खींचने पर भी,रुकती ही नहीं
मेरे सफ़र-ए-मुहब्बत की रेलगाड़ी-
23 MAY 2022 AT 21:32
फेंक रहे हो उसे कीचड़ में,मगर वो खिलेगा नहीं
हर किसी में ये हुनर कहाँ ,कि वो कमल हो जाए-