भारतीय साहित्य में पशु
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जण जमाना में भौतिकतावाद हावी है,घोर कलयुग है ,दिखावा ने ज्यादा महत्व है,मनक मनक सूं तो छोड़ो साधु संता सुं पण आपणी इच्छा और आपणा कर्मा और कान ने हउ लागे अस्यो प्रवचन हूणनो छावै अणि कठिन समय मे भी "तरूण सागर" जी एक किवंदती बण गया,क्यों बण ग्या कड़वी वाता कर कर न...नीमड़ा रा पेड़ ज्यूँ असर कर ग्या, जैन समाज तो छोड़ो आखा देश मे आपणी वात अतरी कड़क तरीकउन केवा और फेर बी हूणवा ने जनसागर उमड़ावा री शक्ति...नमन...
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मंगलमय हो नववर्ष सभी का,
देते शुभकामनाओं का गुलदस्ता।
प्यार एक और रूप अनेक हैं,
पर अनूठा भाव है मित्रता।
2548 वाँ जैन वीर निर्वाण संवत्
5 नवंबर से प्रारंभ।
आप सभी को नव वर्ष की बधाई
एवं हार्दिक शुभकामनाएं😊💐
(कैप्शन में पढ़ें)-
As we celebrate Mahaparv paryushan,with a
humble heart and folded hands,
I ask for your forgiveness if I have
knowingly or unknowingly hurt you in some way
through my words
or actions ----
Michhami Dukkadam 🙏-
जय जिनेन्द्र 🙏🙏🙏
"आज की यादगार सुबह"
दिन की शुरवात गज़ब हुई आज तो,
आए गुरु हमारे द्वारे।
गई लेने मैं उन्हें हमारी समाज के साथ,
करना पार 7 k.m था।
गुरु साथ तो क्या पता चले 7 k.m,
फिर प्रवेश के समय,
खूब नाच कर दिखाई भक्ति हमने।
और जब पहुचे मंदिर,
चालू हुआ "अभिषेक" औऱ फिर "शांतिधारा"।
उसके बात बारी आई महाराज जी के प्रवचन की,
और पता चला कि होने वाला है शिविर 10 दिनों का।
और आई मैं फिर घर पर,
करा नाश्ता और करि शुरवात लिखना की ये।
अब post कर रही हु 😊😊😊-
मन की गांठ खुले तो पर्युषण है
संयम का दीप चले तो पर्युषण है
केवल परंपरा की पकड़ नासमझी है
टूटे हुए दिल मिले तो पर्युषण है
🙏
।। मिच्छामि दुक्कडम् ।।-
अपने देश की सवा सौ करोड़ की जनसंख्या में एक प्रतिशत से भी कम जनसंख्या वाला यह जैन समाज पिछले 2500 से भी अधिक वर्षों से स्वयं को प्रथम पंक्ति में रखने में सक्षम रहा है, यह भी धर्म संस्कार की उपज है। आज कुछ बात बताता हूं जरा ध्यान से पढ़ना...
(पूरा लेख caption में अवश्य पढ़ें)
🌷🌿💥जय जिनेन्द्र💥🌿🌷-
Mara dil Mara se thari chhamiya ka rumal ko na jab aansu aave to Mara pass aa jave.....
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# दिनांक 29 सितम्बर 2022 से #
# दिनांक 05 अक्टूबर 2022 तक #
# # श्री नाकोड़ा जी # #-