सुनो...
सिर्फ लौटने भर की ही तो बात थी.-
शिवतत्वार्थ
(राग शिवरंजनी)
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"ॐ"वाघेश्वरी सदा सहायते-(सिर्फ शिवादियोगी के लिए)
Joined 20 March 2019
12 JAN 2020 AT 10:50
यह जो भस्म है न वह तो मात्र स्वरूप है तुम्हारे अलिप्त अंतस का किन्तु तुम तो झारझार शंकरा पर चिरकालीन बहता पारावार श्रृंगार हो हाँ,तुम यह भस्मश्रृंगार ही तो हो
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19 JUN 2020 AT 12:08
आप लौटे तो पूछ लूं कि बहते प्राण पर बलिहार हो मंगलमृत्य को बरना किसे कहते है?
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