हज़ार ख्वाब है मेरे,
दो पंक्तियां नाकाफी होगी !-
मौलिक तुकबंदी ,लेखन आत्मसंतुष्टि के लिए
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धर्म जाति भाषा क्षेत्र से निकल कर अगर सरकारें नहीं चलेगी तो हर कोई अपना उल्लू सीधा कर जाएगा और हम लाठी पीटते रह जाएंगे।
सद्बुद्धि आए जल्द तो आम नागरिक थोड़ी राहत की सांस ले, प्रदूषित ही सही !-
ठीक समय आने पर
सब ठीक हो जाता है
अंधों का निशाना भी
अचूक और सटीक हो जाता है-
शहर में रह कर
खुला आसमान
टिमटिमाते तारे
देखना भी मुश्किल हो गया
भीड़, भागादौड़ी
ट्रैफिक जाम
बिना शुद्ध हवा पानी खाने के
अब नियति हो गया-
छोटी सी है जिंदगी
समझ कर इसको बंदगी
जी लें तो ठीक है !
आएंगे उतार चढ़ाव
लाएंगे जीवन में बदलाव
यही तो सीख है !
अपनों से रखिए लगाव
दूर रखिए सारे अलगाव
यही सुरीला संगीत है !
जो भी मिले खुश रहना
सब बढ़िया करना और कहना
बाकि जो भी मिला अधिक है !
हमारे हिसाब से सब होता कहां
दिन के बाद रात ही होता यहां
ईश्वरीय गणनाएं सटीक है !-
अधूरेपन में जीते हैं
सभी
किसी न किसी तरह
अधूरेपन में जीते हैं
कोई जमीं के लिए तरसे
तो कोई आसमान के लिए,
कहीं सम्मान की मिठास बरसे
तो कोई हरदम अपमान का
कड़वा घूंट पीते हैं!
-
कतरा कतरा कहता है
तू मेरे दिल में रहता है
मैं तो चुप रह जाऊंगा
आंखों के बोल देने का...
पूरा खतरा रहता है
उमर ना कोई जन्म का बंधन
यूं ही मिलते आए सजनी सजन
कैसे संभाले रखें खुद को
सोलह के बाद
साल सत्रह रहता है-