तुम्हारे साथ रंग खेलना था
तेरे होठों के रंग से मुझे रंगना था
!मुरशद!
पर वक्त को अभी यह मंजूर नहीं
हमारा मिलन अभी मुमकिन नहीं-
और मोहब्ब्त करनी है तो
अपने माता - पिता से करो
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प्यार भरे लफ्जों से कही गई उनकी बाते
फिर मन–मोहने वाली उनकी मीठी यादें
!मुरशद!
ना दिन में कोई काम करने देती हैं
ना रात को चैन से सोने देती हैं-
!मुरशद!
उनसे मुलाकात तो अनजाने लोगों की तरह हुई
पर बाते इस कदर हुई
जैसे कुंभ में बिछड़े यार आज मिले हों-
एहसास जगाए रखना
उसको दिल में बैठाए रखना
!मुरशद!
फिर रब ने चाहा हमारा मिलन तो
लग्न का मुहूर्त तैयार रखना-
तेरी यादों ने इस दिल को
इस कदर संभाला हैं
जैसे मरते हुए इंसान को
ऑक्सीजन का सहारा हैं-
!मूरशद!
एक बार जिसके हो गए हम
समझो ताउम्र उनके हो गए हम
फिर मौत को ही गले लगाएंगे
पर किसी ओर के नहीं होंगे हम-
यूं पागलों जैसा तुझको चाहना
मेरे लिए ताउम्र की सजा बन गई
ना पत्थर सा सख्त बन सका
ना फूलों सा कोमल रह सका-
जब तक इन आंखों
को तेरा दीदार नहीं होता हैं
तब तक यह दिल के साथ मिल कर
कोहराम मचाती रहती हैं
पर जैसे ही इन आंखों को
तेरा दीदार होता हैं
तो यह होंटो पर मुस्कान,गालों पर लाली
ओर दिल में एक तरंग ला देती है-
!मूरशद!
किसी के होंने तक तो सभी इश्क कर लेते हैं
सच्चा इश्क तो वही हैं
जिसमें उसके आने की उम्मीद भी ना हो
फिर भी अंतिम श्वास तक
वो उसी से इश्क करता रहे-
!मूरशद!
इसका तो दिमाग खराब हो गया हैं
गरीब होने के बाद भी प्यार करने निकला हैं
इन अमीरों की बस्ती में
जहा चंद पैसों में लोग
अपना इमान धर्म बेच दिया करते हैं-