"मोहब्बत का भी खेल क्या गजब होता है,
किसी को किसी से भी प्यार हो जाता है।।
ना जाति ना धर्म देखता है,
बस प्यार हो जाता है।।
यह दुनिया का कैसा दस्तूर है,
पहले के जमाने में प्यार करने से डरते थे।।
जाति धर्म रिवाज यह सब देखते थे,
फिर कहीं दिल में कुछ भावनाएं जगती थी।।
अब ना जाती ना धर्म ना रिवाज,
किसी को किसी से भी प्यार हो जाता है।।
बहुत कुछ बदल गया इंसानों की दुनिया में,
अब तो सिर्फ वही दिखता है।।
कहते हैं, कि जीवन जीना तो सब सीख लेते हैं,
लेकिन उसको निभाना किसी के बस की बात नहीं होती है।।
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गरीबी कहाँ आती है साहब!
जाति देख कर
घिन्न ज़रूर आती है
ऐसी राजनीति देखकर-
बाँट दिया जब ईश्वर को तो इतनी ग़नीमत क्यूँ कर दीं?
बाँट देते लहू भी ये रहमत क्यूँ कर दी?
क्या करता भी जनम लेकर राक्षस इस कलयुग में,
जब इंसानो ने ख़ुद में इतनी हेवानियत है भर लीं।
उतारो ! धर्म का चश्मा ठेकेदारों,
भारत माँ के सीने में जातिवाद का ख़ंजर ना उतारो
नहीं बचा सकते देश को लूटने से तो,
कम से कम देश की बेटी की इज़्ज़त ही बचा लो।-
Garibi jati dekh kar nhi aati kyuki yeh pure bharat ki samasya h..❤❤logo ko 2 wakt ka khana bhi thik se nasib nhi hoparaha..aisa kyu??
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दीपों का त्यौहार..
दीपों की जगमग है दिवाली
दीपों का श्रृंगार दिवाली
है माटी के दीप दिवाली
मन में खुशियाँ लाती दिवाली ||
रंगोली के रंग दिवाली
लक्ष्मी संग गणपति का आगमन दिवाली
स्नेह समर्पण प्यार भरी..?
Read my caption's?-
कोई जिए, कोई मरे; इन्हें फर्क पड़ता नहीं
जहां राजनीति चमके ,वो ही खबर होती है।
यह लोकतंत्र है चार स्तंभों वाला साहब
सभी के बिकने से इसकी बसर होती है।-