चोरी हुई किताब Part २
कोशिश तो बहुत हुई उसे मुझसे चुराने की,
बेशक उसने चुरा भी ली..
पर अगर किताब बोल पाती तो,
शायद उसे बता देती..
“तुमने मुझे चुरा तो लिया,मुझ पर लगा जिल्द हटा भी दिया,
पर जैसे ममता उसे अपने हाथो में संभाल कर ले जाती थी,
वो तुम नही कर पाओगी ।
अपने कमरे मे रखे टेबल पर रख तो दोगी मुझे,
पर ममता की तरह सिराहने रख कर सो नहीं पाओगी
अपनी गिरी पलक से फूक कर जो मन्नत ममता ने माँगी,
वो पलक आज भी मेरे इन पन्नो में छुपी है ,
तुम नज़रो से बेशक देख तो लोगी,
मगर किस कशिश से मैंने उस पलक को संभाला है,
उस मोहब्बत को तुम समझ नही पाओगी ।”
किताब चुप तो रहती है…
पर सब कुछ कहती हैं..
चोरी की हुई किताब
हमेशा चोरी की रहती है ।
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बड़े ही इत्मीनान से वो मेरी किताब चुरा के बैठी थी.।
और बड़े ही सफ़ाई से ममता को मुमताज़ बनाये बैठी थी
कि एक पल भी उसे ये नही लगा की किताब बेशक उसने चुरा ली मेरी,
पर उसमे रखे फूलों की ख़ुश्बू आज भी है मेरी,
उसके कुछ पन्नो पर मैंने सोचते हुए किसी का नाम लिखा था कभी,
शायद उसे अभी पता ही नहीं होगा,उसने पूरी किताब पढ़ी ही नहीं होगी अभी ।
मेरी किताब को जब भी वो मेरे सामने पढ़ती है याद तो कर लेती है पर समझ नही सकती है
क्यूकी उस किताब को मैंने अपनी कविताओं की तरह ही सज़ो के रखा था
उस किताब कि हालत उस का हाल बया कर रही थी,
ज़रूर उसने वो जिल्द कही फाड़कर फेक दी होगी,
वो किताब मेरी मोहब्बत का एक एहसास है,
बेशक उसने चुरा ली हो,नाम भी मिटा दिया मेरा.,
पर वो हमेशा अधूरी किताब रहेगी क्यूंकि…
उसका एक पन्ना आज भी मेरे पास है ।-
माँ जीवन की प्रथम गुरु है,
पिता है जीवन के रक्षक,
और सही मार्ग पर जो चलना सिखाए ,
वो है हमारे शिक्षक 🙌-
बात शुरू कैसे करूँ सोचती रह गई..
बैठे बैठे सिर्फ घड़ी देखती रह गई,
वो मोबाइल चलाने का दिखावा दिखाये जा रहे थे.
मैं आँखो से बोल रही थी और वो समझ जा रहे थे
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पता नहीं कौन सी बात थी जो लब्ज़ भी नहीं मिल पा रहे थे..
मैं सिर्फ़ आँखो से बोल रही थी और वो समझ जा रहे थे ..-
दोस्ती से बढ़कर कोई दौलत नहीं इस दुनिया में,
दोस्ती में जो सुकून है वैसा जन्नत नहीं इस दुनिया में,
ग़म जो आधे कर दे,खुशिया दुगनी भरदे,
दोस्ती जैसा कोई आयत नहीं इस दुनिया में।-
मेरी दुआओ को कुछ यू क़बूल कर ऐ खुदा ,
मुझसे जुड़े हर रिश्ते की तक़दीर संवर जाए।
आँखे बंद करूँ एक प्यारे से सपने के साथ ,
और जब आँखे खोलूँ तो वो सपना सच निकल जायें।-
मोहब्बत क्या है हमने जाना ही तुमसे ,
एक बार ही सही , भले झूठ ही सही
तुमने कहा तो होता कि तुम्हें भी मोहब्बत है हमसे...-
किसी ने सच ही कहा नियत और ईमान सच्चा रखोगे ,
तो खुदा भी तुम्हारा साथ देगा ।
वरना पूजा पाठ चाहे कितनी भी कर लो ,
आँखो में तुम्हें वो सिर्फ़ आँसू ही देगा ।
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जुनूनियत है मंज़िल पाने की तो बनी ही रहने दो,
ना दो मुझे जमीं पर जगह हवा में उड़ने दो,
थक जाएँगे जब पंख मेरे तो नीड़ ख़ुद ब ख़ुद ही मिल जाएगी,
आसमाँ की चादर को मुझे मेरे पंखो में समेटने दो।
ज़रा ...देखे सरहद के उसपार क्या है... हम भी जाकर ,
कोई आवारा पंछी कहे हमें तो आवारा ही कहने दो।-