ग़ैरों की ज़िंदगी पर क़ुरबान हो जाना
कितना कठिन ऐसा इंसान हो जाना।
मज़हब से जातियों से अंजान हो जाना
बसका नहीं सबके बस इंसान हो जाना।
मुश्किल है सरल होना आसान हो जाना
हाँ है ज़रा-सा मुश्किल इंसान हो जाना।
सबके दिलों में आना दिल से गले लगाना
उतना कहाँ है मुश्किल में इंसान हो जाना।
कुत्ते से बात करना चींटी को गुड़ खिलाना
नहीं ज़रा भी मुश्किल इंसान हो जाना।
हर बैर भूल जाना, बस हँसना मुस्कुराना
समझो तो सरल ही है, इंसान हो जाना।-
प्रेम और ठहराव की खोज का मेरा सफ़र
दरिया पार उस किनारे पर खत्म हुआ
लेकिन दुर्भाग्य रहा कि
तीव्र संकीर्ण धाराओं के बहाव ने
प्रतिबंधित कर दिया मेरे कदमों को
अब संभवतः सदियों बाद कभी
शुद्ध और निर्मल होंगी ये धाराएं
तब तक निरंतर देखूंगी
कतरा-कतरा बदलाव को और
दूर ही से निहारती रहुंगी
इस छोर से....
उस छोर को....-
मुद्दतों से उन्हीं मुद्दों से घिरे हैं हम
आज़ादी के बाद से देखो कितना गिरे हैं हम
राजनीति तो अब एक धन्धा हो गया है
आँख वाला भी आज अन्धा हो गया है
जो कल था, वही आज है, वही कल भी रहेगा
दल, बल, छल और दलदल भी रहेगा
हाथ, कमल, झाड़ू, बस निशान अलग हैं
नेताओं की कहाँ कोई पहचान अलग है
गरीबी को मुद्दा बनाकर अमीर बन गये लोग
नेता हैं अगर डॉक्टर तो जात पात है रोग
आदत डाल ली हमने इन मुद्दों के संग जीने की
मोल नहीं है इस देश में खून और पसीने की-
जात-पात धर्म भेद का सब द्वेष मिटा दो तुम
राम राज्य बनाने वालो पहले राज्य बचा लो तुम
-©सचिन यादव-
ख़ून होता सिर्फ़ लाल, पता चला सफलता के बाद
उसके पहले जात-पात, धर्म-संप्रदाय में बँटा पड़ा था-
अच्छा है आसमान में उड़ते पंछियों को उनके धर्म और सरहदों का पता नहीं है
वरना हर रोज़ आसमान में से रक़्तवर्षा ज़मीन पर गिरती-
स्त्री प्रकृति की अनुपम सौगात
प्रथम सोपान हरदम मर्दजात
कोमल आवाज़ पतली सी मधुर
कर्कश एकाक्ष हरदम मर्दजात
...ब्रजेश
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जात पात, मजहब के मअसलों
से दूर ही रखो साहब!
कलाकार हैं, कला ही हैं
धरम, पूजा और ईमान हमारा!-
प्यार की तब होती हैं मात...
जब लोगों के लिए प्यार से ज्यादा,
मायने रखता हैं जात-पात||
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हकीकत से क्या टकराए, तार तार हो गए,
मेरे ख़्वाब मेरी आंखों में ही बर्बाद हो गए।
जब बात होने लगी प्यार में जातपात की
मेरे अपने तब, गैरो से भी पराए हो गए।-