मैं नहीं चाहता, फूल सी नाजुक हो तुम
इस ज़ालिम दुनियां से लड़ना है तुम्हें
-©सचिन यादव-
9 APR 2019 AT 8:18
4 DEC 2017 AT 7:26
चलो! वक़्त को लौटा देते हैं उसके दिए ज़ख्म सारे,
वो भी तो महसूस करे कि वो कितना ज़ालिम है..!!-
7 NOV 2020 AT 17:35
शिक़ायत करूंगी तेरी
मैं तेरे ख़ुदा से
ऐ ख़ुदा..!!
आजकल तू बड़ा
ज़ालिम हुए जा रहा है-
20 JAN 2017 AT 3:21
तर हू तेरे इश्क़ में एे ज़ालिम
और तू कहता हैं कि
शिनाख्त करो चोट कहाँ लगी है ||-
4 SEP 2017 AT 13:14
ज़ालिमों का ज़ालिम है वो, वो है लालची भी थोड़ा,
यादों की तो छोड़.. कमबख्त ने मुझे तेरी भूलों में भी ना छोड़ा।।
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31 JUL 2020 AT 12:26
वक़्त वक़्त की बात है,
कभी दिन तो कभी रात है।
बंजर ज़मीन पर ख़्वाब हैं,
तो कहीं आंँसुओं की बरसात है।
ज़िन्दगी की हसीन शुरुआत है,
कभी ज़ालिम हर हालात हैं।
परिंदों की बांहों में नीला आकाश तो कहीं,
सागर में छुपे अनगिनत राज़ हैं।
कहने को तो अपनों का साथ है,
फ़िर भी कहीं दिल उदास है।।-
20 MAY 2021 AT 7:07
मैं तन्हा घूमता हु दर्द छुपाने की मुझे तलाश हैं
लोग कहते है मैं चलती फिरती एक जिंदा लाश हु-