Mohib Mokashi   (© मोहिब मोकाशी)
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कसूर तो सोच का था
लेकीन
बदनाम अल्फाज हो गये
Joined 27 April 2020


कसूर तो सोच का था
लेकीन
बदनाम अल्फाज हो गये
Joined 27 April 2020
6 JUN AT 5:23

रात्री तीच पण आजचा
काळोख मला नवा होता
काल सुटलेला हात आज
पुन्हा हातात हवा होता

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6 JUN AT 5:13

खिडकीत बसून पाऊस
बघायला मला आवडत नाही
पूर्वीसारखा पाऊस आज काल
अंगणात पडत नाही

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5 JUN AT 22:30

आज कोणी कुठेतरी माझी
वाट पाहील ही आस नाही
अंगणभर सडा पसरला आहे
पण धड एकाही फुलाला वास नाही

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7 OCT 2024 AT 20:47

आठवणीतला पाऊस
छळतो फार
एक एक थेंब
काळजाच्या आर-पार

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7 OCT 2024 AT 20:41

जिंदगी अगर तन्हा जीने का नाम है
गुमनामी में रहना तो फिर भी आम है

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7 OCT 2024 AT 20:39

वक्त कहां किसी के लिए थमता हैं
सही या ग़लत फैसला होता हैं
वक्त तो सभी का एक जैसा होता है

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7 OCT 2024 AT 20:36

इंसान की फितरत ही ऐसी है
उसका वक्त आने तक सबर नहीं
सही वक्त जाए तो फिर कदर नहीं

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17 SEP 2024 AT 22:41

नफरतें तो इंसान के दिलों की फितरत हैं
बेजुबान तो आज भी अकिदा रखते हैं

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4 AUG 2024 AT 11:08

मन म्हणतं मला तु
यंदा फक्त रडायचं नाही
पण पावसाला कुठे कोणी
म्हणतं तु पडायचं नाही

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4 AUG 2024 AT 11:06

प्रत्येक हिशोबात मी
मागेच पडत आलो
यंदा नदी काठावरून
परतताना रडत आलो

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