Mohib Mokashi   (© मोहिब मोकाशी)
5.2k Followers · 5.3k Following

कसूर तो सोच का था
लेकीन
बदनाम अल्फाज हो गये
Joined 27 April 2020


कसूर तो सोच का था
लेकीन
बदनाम अल्फाज हो गये
Joined 27 April 2020
25 MAR AT 19:38

एवढ्या पाण्याने तहान भागणार नाही
तरी त्या घश्याला ओलावा कश्याला
फार पुढे निघून गेला आहे
त्याला स्मशाना बाहेर विसावा कश्याला

-


30 OCT 2023 AT 18:32

आ बैठ मेरे पास तेरी कहानी लिख दूं
तेरे-मेरे जिंदगी में प्यार की रवानी लिख दूं

तु इस सहरा में सिर्फ साथ दे मेरा
मैं सहेरा में प्यास पहले पानी लिख दूं

जिंदगी के हर मोड़ पे हाथ मेरा थामना
तेरे नाम मैं अपनी पुरी जिंदगानी
लिख दूं

ऐ हमसफ़र तु मेरे हमराज़ रहेना जिंदगी भर
मेरे नाम तेरी हर एक परेशानी लिख दूं

ए खुदा मेरी हर एक दुआ कबूल करना
सजदे में हमेशा के लिए मेरी पेशानी लिख दूं

गर खुदा दे इजाजत मुझे तो मैं एक
मोहब्बत के अफसानों पर किताब आसमानी लिख दूं

-


21 OCT 2023 AT 7:22

जिंदगी ख़ुशी के चंद पलों में जी लेना
गमों का कड़वा जहर तन्हाई में पी लेना
कभी महफ़िलों में उनकी हकीकत नज़र आजाए
तो ख़ामोशी से अपने लबों को सी लेना

-


21 OCT 2023 AT 7:17

पानी हां मैं आंख का पानी हूं
किसी ने मोहब्बत से रुमालों में संजोया
तो किसी ने बेदीली से आंखों ज़ाया बहाया

मिट्टी हां मैं मिट्टी का ढेला हूं
बेघर ने प्यार से घर मकान बनाया
मुसाफिर ने राह की धुल समझकर पिछा छुड़ाया

अनाज हां मैं एक अज़ीम लुकमा हूं
भुखे ने ऐतीयात से कत्रा कत्रा खाया
आमिर ए शहरों ने बकाया नाली से बहाया

कपड़ा हां मैं कपड़े का तुकडा हूं
गैरतवालौ नो ताज समझकर सरों पर सजाया
बेगैरत ने लिबाज़ से काट काट कर हटाया

इंसान हां मैं आदम जात इंसान हूं
अपनों ने अपनों से खुदगर्जी में ठूकराया
गैरों नो जी जान से अपने गले लगाया

-


20 OCT 2023 AT 19:27

ए गमों तुमसे मैं थोड़ी फुर्सत चाहता हूं
मैं जिंदगी में अब थोड़ी मोहब्बत चाहता हूं

यादों की वजह से मेरी आंखें भरी है
डबडबाई आंखों से अश्कों की रुखसत चाहता हूं

मुझे यारों और महफिलों ने तन्हा छोड़ा है
काफिलों में भी तन्हाई की आदत चाहता हूं

सर पर आंचल और लबों पर खामोशी है
झुकी पलके नहीं उन में जरा सी इज्जत चाहता हूं

मेरी जज्बात और मोहब्बत को तुमने ठुकराया है
तेरी बेताब नफरतों में थोड़ी शिद्दत चाहता हूं

अब तक मुझे झूठे वादे कसमे मिली है
बस जिंदगी सिर्फ और सिर्फ हकीकत चाहता हूं

-


15 OCT 2023 AT 22:33

गर आग लगी बस्तीमें तो तेरा घर भी जलेगा
भाई वो आग है आग उसपर किसका क्या चलेगा

तु चाहता था बस मेरा ही एक घर जले
जल रही है पुरी बस्ती ऐसे कैसे कहा चलेगा

जलते जलते घर का ये रोशनदान भी जल गया
अब आसमां का वो आफताब किसे कैसे देखने मिलेगा

आग किसी घर के छोटे चिराग से लगी थी
वो खुद भी जल गया सबुत हाथ नहीं लगेगा

आग की वजह जो कुछ थी सब जला गया
इल्जाम हमी पर डाल दो ये कहीं नहीं चलेगा

तुम ख्वाब देखते थे हमें मिट्टी में मिला नेका
देखो यहां पर बस खाक ही खाक देखने मिलेगा

-


9 OCT 2023 AT 12:23

मोहब्बत नहीं तुम हमसे नफरत करती हो
इसी बहाने हमें याद तो करती हो

-


22 JUL 2023 AT 9:14

जाते जाते मुड़कर एक बार तो देखना था
इश्क का मेरा झूठा भरम तो रखना था

-


4 JUL 2023 AT 22:13

आ बैठ मेरे पास तेरी कहानी लिख दूं
ढलती उम्र में मेरी कुछ जवानी लिख दूं

तु सिर्फ साथ दे मेरा इस सहरा में
तेरे नाम मैं अपनी पुरी जिंदगानी लिख दूं

जिंदगी के हर मोड़ पे हाथ मेरा थामना
सहेरा में मैं प्यास पहले पानी लिख दूं

ऐ हमसफ़र तु मेरे हमराज़ रहेना जिंदगी भर
मेरे नाम तेरी हर एक परेशानी लिख दूं

ए खुदा मेरी हर एक दुआ कबूल करना
सजदे में हमेशा के लिए मेरी पेशानी लिख दूं

गर खुदा दे इजाजत मुझे तो मैं एक
मोहब्बत के अफसानों पर किताब आसमानी लिख दूं

-


20 FEB 2023 AT 5:24

जवळचं सगळं
लोकांना वाटून वाटून संपलं
तरी कोणीच कधीच
कसे म्हणेना मला आपलं

-


Fetching Mohib Mokashi Quotes