QUOTES ON #जनता_कर्फ्यू

#जनता_कर्फ्यू quotes

Trending | Latest
19 MAR 2020 AT 21:40

मोदी जी हर रविवार
#जनता_कर्फ्यू लगा दो...
🙏🙏🙏

बीवी की शॉपिंग से परेशान पति।

-


22 MAR 2020 AT 15:15

शहरों का सन्नाटा बता रहा है, 😢
कुदरत का कहर कितना खतरनाक हो सकता है?
सड़कों की खामोशी कह रही है,
प्रकृति के साथ खिलवाड़ कितना महंगा पड़ सकता है?
लोगों की डर बखूबी
बयाँ कर रही है,
कल का दौर कितना
दर्दनाक,
हो सकता है?

-


25 MAR 2020 AT 8:54

✍️✍️
खुशी ठहरी है ना गम ठहरा है
वक्त का कुआं बहोत गहरा है
गुजर जाएगा ये भी “विनय”
फकत 21 दिनों का पहरा है

-


24 MAR 2020 AT 12:13

✍️आदमी✍️
अपनी औकात भूल जाता है
दिन मिले रात भूल जाता है
आदमी जानवर से भी बुरा है
पल में हालात भूल जाता है
पीढ़ियों की हिफाजत चाहता है
टनों दीनार दौलत चाहता है
ख्वाब है जिंदगी जो जी रहा है
सांस के साथ ज़हर पी रहा है
एक पल का भी खुद मालिक नहीं है
बस यही बात भूल जाता है
आदमी पढ़ के जाहिल हो गया है
अपनी औकात भूल जाता है
आदमी खून का प्यासा है “विनय”
खुद अपनी जात भूल जाता है

-



आज का दिन अपनों के साथ गुजारें।
जनता कर्फ्यू का समर्थन करें।

-


21 MAR 2020 AT 19:27

ये खामोशी है आधीरात कि
कुछ नया नहीं
पर हाँ नया था कुछ तो वो आज का दिन कल परसों तरसों का

ये ऐसी जगह है
जहाँ लोग होते थे, बच्चे होते थे, टेनिस रैकेट के बीच फांदते कदमों की आवाज होती थी

पर आज नहीं है...दोषी हम हैं हमसब...कोई थोड़ा कोई ज्यादा

उन्नति अधिकार है समय का
पर जड़ो की मृत चेतना के ऊपर नहीं

आज समय हमारे दंभ को कुचल हमें ललकार रहा...

और हमारा अतीत, हमारा कल, हमारा पुरातन, हमारा सनातन एकबार फिर अपनी माँ प्रकृति
के सामने हाँथ जोड़े खड़ा है
अपनी विशाल सभ्यता के लिये रक्षात्मक होकर बिना भेद
माफ कर दो माँ
अपने नालायक संतानों को इससे पहले कि तुम्हारा सबक कहर बनकर भौतिकता की आग में खुद को झोंकती आबादी को खत्म कर दे
माफ कर दो माँ प्रकृति
भरतवंशियों की वर्तमान डोर को थामने वाला
अध्यात्म और विज्ञान का अद्भुत संगम
पर आज विनती भरे सकारात्मक स्वर के साथ हर संभव कोशिश का प्रण लिये
हम सबके लिये
हम सबसे मदद माँग रहा
जितना संभव हो किजिये, प्रकृति से माफी मांग खुद में एकबार फिर मानव ढुंढने की कोशिश लिये
कल का सुप्रभात दहलीज के साथ
दहलीज के भीतर
सांसें बचेंगी तभी तो रात और दिन
जनता कर्फ्यू 🇮🇳

-


22 MAR 2020 AT 22:47

कई सालों के बाद ऐसा नज़ारा देखा
पूरा परिवार के साथ रविवार बीता

-


22 MAR 2020 AT 18:31

जनता कर्फ्यू
स्वैच्छिक बहिर्निषेध
आज गली शांत रहा
न मिनट मिनट पर सब्जी फेरीवालों का शोर
न दिनभर कबाड़ियों की कबाड़ी कबाड़ी
न किसी मांगने वाली गाड़ी का लाउडस्पीकर
न गाय चारा रिक्शा का भक्ति गीत
न कुड़ा गाड़ी का संदेश
न कोई बाबा
न कोई भीखमंगा
न किन्हीं लीचड़ लड़कों की बडाम बडाम फटफटिया
न कोई ताला चाबी वाला
न कोई प्रेशर कुक्कर सिलाई मशीन मरम्मत वाला
न कोई और फेरीवाला
यहाँ तक कि गली का कुत्ता भी
आज नहीं भौंका
चुप रहा शांत रहा

-


25 MAR 2020 AT 6:07

✍️✍️
जब ये फूल डाली पर खुश रह सकते हैं
तो फिर हम घर में क्यूं खुश नहीं रह सकते

-


23 MAR 2020 AT 8:10

Insaan Kudrat Se Khilwad Kis Hadd Tak Karta Jaa Raha Hai

Yeh Aaj Ke Dino Khaamosh Shehron Ka Sannaata Bata Raha Hai

इंसान कुदरत से खिलवाड़ किस हद तक करता जा रहा है

यह आज के दिनों खामोश शहरों का सन्नाटा बता रहा है

-