Rajnandan Singh   (राजनन्दन सिंह "विजयी")
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Joined 31 August 2019


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7 FEB 2023 AT 11:18

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6 FEB 2022 AT 12:50

लता
एक स्वर
जो मौन हो गई
मगर गूँज
जो 1942 से संवर्धित है
गूँजती रहेगी
सदियों तक
सदियों से भी
सदियों तक

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19 JAN 2022 AT 14:57

परिवारवादी पार्टियों के परिवारों को वह पार्टियाँ भी मदद करती है व अवसर देती है जो परिवारवाद के विरोध का राग अलापती है तथा झंडा धोती है।

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3 DEC 2021 AT 20:40

आदमी चाहे
बूढा न क्यो हो गया हो
अपने माता-पिता को याद कर
वह बच्चा हो जाता है

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28 NOV 2021 AT 19:48

अन्नदाता किसान
सालभर खालिस्तान समर्थक
आतंकी देशद्रोही रहे
अचानक
अब फिर से अन्नदाता हो गए
और आशा है
संभवतः शायद
मतदाता भी हो जाएँ

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17 SEP 2021 AT 22:14

तुझे क्या लगता है
जगह की कमी
फोर बीएचके में जाकर
दूर हो जाएगी
नहीं
आदमी का स्वभाव है..

(पूरी कविता फिर कभी .. ..)

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17 SEP 2021 AT 20:16

तुम्हारी बदगोई

तुम्हारी बदगोई का अर्थ
किसी का समर्थन नहीं
तुम्हारी छुद्रता का
तुच्छ प्रदर्शन है..

(पुरी कविता फिर कभी.. )

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2 JUN 2021 AT 9:08

दोहा

नहि बनाते दरिद्र को वारिक भी जहँ लोग
यदि बनाया मुखिया तो कर्म किया सो भोग

वारिक =ग्रामीण भोज में खाना परोसने वाला

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