ऐसी भर एक उड़ान जो नजीर बने
साथ समंदर पार से पहले तू न थके।।-
Shobhit Gupta
(Shobhit ~ शोभित)
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Artist
Joined 23 April 2017
1 MAY 2022 AT 9:04
यह मेरा दिल नहीं, एक होटल का कमरा है।
रोज़ नए मुसाफिर को आराम यहां करना है।
आना है, ठहरना है, ठहरकर चले जाना है।
मिटाना है अपनी थकान, फिर चले जाना है।
जाते हुए यादों की कुछ सिलवटें छोड़ जाना है।
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3 AUG 2020 AT 8:19
दो तरह से चीजें देखने में
छोटी नजर आती है,
एक दूर से और दूसरा गुरुर से !!-
3 JUL 2020 AT 21:23
चेहरे पर हँसी और आँखों में नमी,
ख़ुशियों का मेरी हिसाब ना लो,
भीग रहा हूँ गमों की बारिश में,
मुझे थोड़ी सी कोई छांव दे दो!!-
30 JUN 2020 AT 16:40
तू जो होती गर शराब तो
सोचता हूँ क्या नशा होता!
सूरूर तो अब भी होता है,
तब शायद मैं फ़ना होता!!
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