"वक्त" हर क्षण व्यतीत हो रहा,
हम तो बस ख़र्च होते हैं ।
सुनों ... इससे पहले की मैं भी ख़र्च हो जाऊं, तुम्हारा वक्त बनना चाहता हूँ।
ज्यादा कुछ लिखना नहीं जानता पर जब भी देखता हूँ तुम्हें "मसान" की वो पंक्तियाँ याद आ जाती की...👇
‘तू किसी रेल-सी गुज़रती है,
मैं किसी पुल-सा थरथराता हूं’।❣-
Prince Jitender Hooda
(प्रिंस जितेंद्र हुड्डा)
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बस कविताएं लिखता हूँ और मस्त रहता हूँ और इससे ज्यादा खुद के बारे में क्या बतलाऊँ
बस लेखनी ... read more
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Joined 29 April 2018
4 JAN 2022 AT 9:23
17 OCT 2021 AT 19:19
अपनी अच्छाई पर अब मैं क्या गुरूर करूँ,
किसी की कहानी में शायद मैं भी गलत हूँ... ❤️🙏🏻-
17 SEP 2021 AT 8:36
अगर हमारे द्वारा कुछ कर गुजरने का ठान लिया जाता है
तो मुसीबतें इतनी भी जटिल नही होती जितना मान लिया जाता है ☺️🙏-
1 JUN 2021 AT 17:52
अच्छा हुआ दिल टूटने पर आवाज़ नहीं होती
वरना सारे शहर में टन-टना-टन होती रहती ❤️🙏🏻-
26 APR 2021 AT 18:07
हम लिखने वालों के हिस्से में.,
सिर्फ कहानियाँ ही हाथ आती हैं...!!
लोग नहीं...!!❤️🙏🏻-
21 MAR 2021 AT 19:10
वो स्त्री है ।
उसके बारे में लिखना उतना ही जटिल है
जितना पहाड़ को अपनी बाहों में समेटना ❣❣🤟-
21 MAR 2021 AT 11:04
वही चिराग जहां में कमाल करता है..
बिना डरे जो हवा से सवाल करता है. ❤️🙏🏻-
25 FEB 2021 AT 22:30
रूबरू होने की तो छोड़िये, गुफ़्तगू से भी क़तराने
लगते हैं,
ग़ुरूर ओढ़े हैं रिश्ते,अपनी हैसियत पर इतराने
लगते है ❤️🙏🏻-
20 FEB 2021 AT 17:21
फिसल कर वक्त के फर्श पर, उम्र ढल रही है...
बिन जिए ही लगता है जैसे, जिंदगी निकल रही
है।।.❤️🙏🏻-
8 FEB 2021 AT 8:27